राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों का बड़ा प्रदर्शन, खेमराज कमेटी रिपोर्ट का किया दहन, सरकार को दी चेतावनी!

राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों का बड़ा प्रदर्शन, खेमराज कमेटी रिपोर्ट का किया दहन, सरकार को दी चेतावनी!

जयपुर, राजस्थान के लैब टेक्नीशियनों ने खेमराज कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र सिंह के आह्वान पर पूरे राज्य में जिला कलेक्टर कार्यालयों के माध्यम से मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री (वित्त) और चिकित्सा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे गए। इस दौरान राजस्थान भर के लैब टेक्नीशियनों ने कमेटी की रिपोर्ट को जनविरोधी बताते हुए उसका दहन किया और "खेमराज कमेटी मुर्दाबाद" के नारे लगाए। संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।  

लैब टेक्नीशियन: चिकित्सा सेवाओं की रीढ़

प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि लैब टेक्नीशियन चिकित्सा व्यवस्था की नींव हैं, जो ट्यूबरक्लोसिस (टीबी), स्वाइन फ्लू और कोविड जैसी घातक बीमारियों के दौरान सबसे आगे खड़े रहते हैं। जब कोविड महामारी के दौरान मरीजों के अपने भी उनसे दूर हो गए थे, तब लैब टेक्नीशियन ही थे, जो उनके सबसे करीब रहकर जांच कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2025 तक 'टीबी मुक्त भारत' के संकल्प को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका लैब टेक्नीशियनों की होगी, क्योंकि जांच के बिना किसी भी बीमारी का उपचार संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की चिकित्सा व्यवस्था पूरे देश में एक मॉडल के रूप में मानी जाती है। लेकिन जब दूसरे राज्यों में लैब टेक्नीशियनों को 4200 ग्रेड पे मिल रही है, तो राजस्थान में उन्हें महज 2800 ग्रेड पे दी जा रही है, जो सरासर अन्यायपूर्ण है।

वेतन विसंगति और अनदेखी से नाराज लैब टेक्नीशियन
संघ के मीडिया प्रभारी संतोष शर्मा, महामंत्री तरुण सैनी और प्रवक्ता बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि सरकारें बदलती रहीं, लेकिन लैब टेक्नीशियनों की वेतन विसंगतियां दूर करने के नाम पर हमेशा टालमटोल किया गया। सरकार में जिसकी लाठी, उसकी भैंस चलती है। कमेटियों ने हमेशा हमारी शैक्षणिक योग्यताओं, प्रशिक्षण और जोखिम भरे कार्य को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग बेहद संवेदनशील क्षेत्र है और यहां अगर लैब टेक्नीशियन काम बंद कर दें, तो मरीजों को सीधा नुकसान होगा। लेकिन इसके बावजूद सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। हम गांधीवादी तरीके से सरकार को अपनी परेशानियों से अवगत करा रहे हैं। लेकिन सरकार ने हमेशा लैब टेक्नीशियनों की मांगों को अनदेखा किया है।

क्या हैं लैब टेक्नीशियनों की मुख्य मांगें?
ग्रेड पे बढ़ोतरी: राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों को 2800 ग्रेड पे मिल रही है, जबकि पड़ोसी राज्यों में 4200 ग्रेड पे दी जा रही है। राजस्थान में भी ग्रेड पे बढ़ाई जाए।

स्टाफिंग पैटर्न का सुधार: राजस्थान में चिकित्सा सेवाओं पर अन्य राज्यों से भी मरीजों का भार रहता है। इसके बावजूद स्टाफ की संख्या पर्याप्त नहीं है। सरकार को स्टाफिंग पैटर्न में सुधार करना चाहिए।

कार्य का उचित मूल्यांकन: लैब टेक्नीशियन खतरनाक संक्रमणों के संपर्क में रहते हैं, लेकिन उन्हें कोई विशेष भत्ता या अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जाती।  

समय पर वेतन और प्रमोशन: सरकारी सिस्टम में लैब टेक्नीशियनों को समय पर वेतन और प्रमोशन नहीं मिलते। इस प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।  

खेमराज कमेटी रिपोर्ट का विरोध क्यों?
संघ के अतिरिक्त महामंत्री हरफूल चेजारा, जिला अध्यक्ष विजय सिंह गॉड, अमित गौड़, योगिता गुप्ता, नीलम पचौरी, विनय वशिष्ठ, जितेंद्र धायल और अमित जोशी ने बताया कि खेमराज कमेटी की रिपोर्ट लैब टेक्नीशियनों के हितों के खिलाफ है। यह रिपोर्ट हमारी मेहनत, हमारी रिस्क और हमारी शैक्षणिक योग्यताओं की अनदेखी करती है। सरकार ने अगर इस रिपोर्ट को लागू किया, तो यह लाखों लैब टेक्नीशियनों के साथ अन्याय होगा।

आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी
संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को स्पष्ट कर दिया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। हमने शांतिपूर्वक ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन अगर हमारी मांगों की अनदेखी की गई, तो हमें कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। हम किसी भी कीमत पर अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे और सरकार को हमारी मांगें माननी ही होंगी।

क्या सरकार सुनेगी लैब टेक्नीशियनों की आवाज़?
लैब टेक्नीशियन राजस्थान की चिकित्सा सेवाओं की नींव हैं। वे हर गंभीर बीमारी के दौरान सबसे पहले काम करते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी वेतन विसंगतियों और पदोन्नति की समस्याओं को अब तक अनदेखा किया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार लैब टेक्नीशियनों की इस नाराजगी को गंभीरता से लेगी? क्या मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री (वित्त) और चिकित्सा मंत्री उनकी मांगों को पूरा करेंगे? या फिर सरकार की अनदेखी से लैब टेक्नीशियन बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे? आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।