Trade War में फंसे चीन ने बढ़ाया भारत की ओर दोस्ती का हाथ — क्या भरोसा करेगा भारत?

अमेरिका की सख्त टैरिफ नीतियों और लगातार बढ़ते ट्रेड वॉर के बीच चीन अब भारत के साथ आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने की पहल कर रहा है। भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि चीन भारत के प्रीमियम एक्सपोर्ट्स का खुले दिल से स्वागत करता है और भारतीय कंपनियों को अपने उपभोक्ता बाजार तक पहुंच देने के लिए तैयार है।
भारत के एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल
राजदूत ने यह भी बताया कि चीन ने कभी जानबूझकर व्यापार में सरप्लस (व्यापार अधिशेष) हासिल करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि भारत-चीन व्यापार सहयोग आपसी लाभ और विन-विन रणनीति पर आधारित है।
दिलचस्प यह है कि भारत के कुछ प्रमुख उत्पादों का चीन में निर्यात बीते वर्ष काफी बढ़ा है:
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मिर्च: 17% की वृद्धि
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लौह अयस्क (Iron Ore): उल्लेखनीय उछाल
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सूती धागा (Cotton Yarn): 240% तक की वृद्धि
चीन की चिंता: भारत में बाजार पहुंच
हालांकि इस सकारात्मक रुख के बीच चीन ने भारत में चीनी कंपनियों को लेकर अपनी चिंताएं भी जाहिर की हैं। राजदूत जू फेइहोंग ने कहा कि भारत को चीनी कंपनियों के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और स्थिर व्यापार माहौल सुनिश्चित करना चाहिए।
चीन की रणनीति: साझेदारी या मजबूरी?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के साथ तनावपूर्ण व्यापारिक रिश्तों और भारत के साथ 99 अरब डॉलर से अधिक के व्यापार घाटे के बीच चीन को अब दक्षिण एशिया में एक स्थायी, भरोसेमंद साझेदार की तलाश है। और ऐसे में भारत उसकी प्राथमिकता बनता जा रहा है — शायद मजबूरी में।
लेकिन क्या 2020 की घटनाएं भूलेगा भारत?
साल 2020 की लद्दाख सीमा झड़पों और बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के बाद भारत में चीन को लेकर संदेह गहरा है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत चीन की इस दोस्ती पर भरोसा करेगा?
क्या भारत अपने आर्थिक हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन साध पाएगा?
चीन की यह नरमी व्यापारिक मजबूरी है या भविष्य की साझेदारी की पहल — इसका जवाब आने वाले समय में भारत की रणनीतिक सोच और नीति निर्धारण तय करेंगे। भारत को एक ऐसा रास्ता अपनाना होगा जहां आर्थिक अवसर और सुरक्षा हित दोनों सुरक्षित रहें।