म्हारी छोरियां छोरा से कम है के'.... दूल्हे की तरह सजी बेटी
लाडो की बंदोरी से सर्व समाज खुश, लोगों ने नाचते गाते हुए निकाली लाडो की बंदोरी. सोनिया के पिता का कहना है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो बेटियां बेटों से अधिक नाम कमा रही है, लोग जहां बेटी को पराया धन मानकर बेटा-बेटी में भेदभाव करते हैं. समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढ़िवादी परम्पराओ को जनता धीरे धीरे तिलांजलि देने लगी है जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था. वही अब शिक्षा व जाग्रति से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है.
आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार व प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटो के बराबर सम्मान मिलने लगा है. चाहे शिक्षा की बात हो चाहे सम्मान की अब लोग बेटियों को बेटों के बराबर सम्मान व हक़ देने लगे है. जयपुर B- 4, नव दुर्गा कॉलोनी, सुशीलपुरा सोडाला इन बातो के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है. आपको बता दे कि चंदावत परिवार ने भी समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी विजय लक्ष्मी चंदावत की 18 अप्रैल गुरुवार को होने वाली शादी से पूर्व उसके सारे लाड चाव लडको की भांति किये। आपको बता दे की कंवर लाल सिंह चंदावत की पुत्री विजय की शादी 18 अप्रैल को सतपाल सिंह के साथ होगी.
रात्री को विजय लक्ष्मी को घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली। परिजनों ने विजय लक्ष्मी कवर को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे डीजे के साथ उसकी बिंदोरी निकाली जिसमे सभी परिजनों ने नाच गाकर जश्न मनाये. शादी से पूर्व परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मो को देखकर गदगद नजर आ रही दुल्हन विजय ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान व सम्मान मिलता है। परिवार ने कभी भी उसके व उसके भाइयो के बिच कोई भेदभाव नहीं किया. उसकी शादी में लड़के के जैसे ही पुरे लाढ़ व चाव किये जा रहे है. आज के युग में बेटियां बेटों से किसी भी कार्य में पीछे नहीं हैं. हमें इस भेदभाव के रिश्ते को हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए। क्योंकि म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं हैं. आमजन को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की मुहीम चलाई थी. जिसकी अपार सफलता के बाद से ही पहले जहां जिले में एक हजार लड़को पर सात सौ तीस लड़कियां थी वही इस अभियान के बाद एक हजार लड़को पर 930 लड़किया हो गई। जिले में अब बेटियों को पूरा मान व सम्मान दिया जा रहा है। जो पुरे देश के सामने अनूठा उदाहरण है। बिंदोरी में विजय की सहेलियों, भाई बहनों, परिवारजनों सहित रिश्तेदारों ने नाचकर खुशियां मनाई. विजय के भाई एडवोकेट ललित सिंह ने बताया कि बेटा-बेटी समान हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से समाज में जागृति आती हैं, और बेटा-बेटी समानता के वातावरण का निर्माण होता हैं। विजय के पिता कंवर लाल सिंह ने कहा कि जब समाज में संदेश दिया जाता है कि लडक़ा-लडक़ी एक समान है तो फिर लडक़ा ही घोड़ी पर क्यों बैठता है, लडक़ी घोड़ी पर क्यों नहीं बैठ सकती? इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने बेटी को बिना किसी भेदभाव के हमेशा लडक़ों के समान माना है.