बाड़मेर के विरधाराम सियोल पर कार्रवाई: राजनीतिक साजिश या कानूनी शिकंजा?

बाड़मेर के विरधाराम सियोल पर कार्रवाई: राजनीतिक साजिश या कानूनी शिकंजा?
क्या विरधाराम सियोल ही अकेला तस्कर था, जिसकी संपत्ति जब्त की गई?
नशीली दवाओं की फैक्ट्रियां पकड़ी गईं, लेकिन उनके मालिकों पर क्या कार्रवाई हुई?
क्या विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन देने की सजा मिली?
विरधाराम सियोल को किस बात का अंदेशा था, जो उसने सुरक्षित गाड़ी छोड़ दी?
क्या सरकार के इशारे पर पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की?
जनता को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच की जरूरत।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल: क्या सिर्फ विरधाराम ही निशाने पर?
राजस्थान के बाड़मेर जिले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में विरधाराम सियोल की संपत्ति फ्रीज करने और उसके संदिग्ध हादसे के बाद, कई राजनीतिक और कानूनी सवाल उठ खड़े हुए हैं। मुख्य सवाल यह है कि क्या विरधाराम ही अकेला व्यक्ति था, जिसकी संपत्ति जब्त की गई? क्या इससे पहले पकड़ी गईं नशीली दवाओं की फैक्ट्रियों के मालिकों पर भी ऐसी ही कार्रवाई हुई? अगर नहीं, तो पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजिमी है। पुलिस और प्रशासन पर आरोप है कि सरकार के इशारे पर चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई हो रही है, जबकि बड़े ड्रग माफिया अब भी आज़ाद घूम रहे हैं।
नशीली दवाओं के गोरखधंधे पर दोहरी कार्रवाई?
हाल के महीनों में राजस्थान पुलिस ने कई ड्रग फैक्ट्रियों का पर्दाफाश किया है। मगर, सवाल यह उठता है कि उन फैक्ट्रियों के मालिकों पर क्या कार्रवाई हुई? क्या उनकी संपत्तियां भी जब्त की गईं? क्या उन्हें भी विरधाराम सियोल की तरह टारगेट किया गया? या फिर राजनीतिक संबंधों के कारण कुछ लोगों को बचाया जा रहा है? अगर पुलिस सभी मामलों में समान कार्रवाई नहीं कर रही, तो यह एक गंभीर मुद्दा है।
निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन बना मुसीबत?
बाड़मेर में चर्चा है कि विरधाराम सियोल ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रियंका चौधरी और लोकसभा चुनाव में रविंद्र सिंह का समर्थन किया था। क्या यह सरकार के लिए खतरे की घंटी थी?क्या राजनीतिक बदले की भावना से विरधाराम को निशाना बनाया गया? क्या पुलिस पर राजनीतिक दबाव था? अगर ये आरोप सही हैं, तो यह एक गंभीर लोकतांत्रिक संकट है, क्योंकि कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
विरधाराम सियोल ने गाड़ी क्यों बदली?
विरधाराम सियोल के मामले में एक और रहस्यमयी पहलू यह है कि उसने अपनी सुरक्षित फॉरच्यूनर गाड़ी जयपुर में छोड़कर आगे की यात्रा स्विफ्ट कार से की। क्या उसे किसी अनहोनी का अंदेशा था? क्या उसकी गाड़ी ट्रैक की जा रही थी? क्या यह हादसा महज एक संयोग था या सुनियोजित साजिश? यह सवाल पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर संदेह पैदा करते हैं और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जरूरत को उजागर करते हैं।
क्या सरकार और पुलिस को आम जनता का भरोसा कायम रखना चाहिए?
विरधाराम सियोल के खिलाफ कार्रवाई और संदिग्ध हादसे को लेकर सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त बहस चल रही है।
जनता की मांग:
इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए।
अगर विरधाराम दोषी था, तो अन्य तस्करों और फैक्ट्री मालिकों पर भी समान कार्रवाई होनी चाहिए।
राजनीतिक साजिश की आशंका को खत्म करने के लिए निष्पक्षता जरूरी है।
अगर पुलिस और सरकार ने इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराई, तो जनता का भरोसा कानून व्यवस्था पर से उठ सकता है।
क्या यह सिर्फ एक हादसा था या सुनियोजित साजिश?
विरधाराम सियोल की संपत्ति फ्रीज करने और उसके साथ हुई दुर्घटना के बीच कई अनसुलझे सवाल हैं। अगर यह कार्रवाई न्यायिक और कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है, तो अन्य ड्रग माफियाओं पर भी समान कार्रवाई होनी चाहिए। अगर इसमें राजनीतिक साजिश की बू आ रही है, तो सरकार और पुलिस को निष्पक्ष जांच कराकर जनता का भरोसा बनाए रखना चाहिए। क्या पुलिस अब इन सवालों के जवाब देगी? क्या राजस्थान सरकार इस मामले की न्यायिक जांच करवाएगी? या फिर यह मामला भी राजनीतिक उठा-पटक में गुम हो जाएगा? आने वाले दिनों में इस मामले में कौन सा नया मोड़ आता है, यह देखना दिलचस्प होगा।