बारां के अंता विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी पर संकट

बारां के अंता विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी पर संकट

राजस्थान के अंता विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी पर संकट गहरा गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद अब उनकी विधायकी जाना लगभग तय माना जा रहा है। कोर्ट ने कंवरलाल मीणा को दो सप्ताह के अंदर ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने का आदेश भी दिया है।

सजा का सामना कर रहे विधायक
कंवरलाल मीणा को एसडीएम पर पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में पहले ही तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी है। उनके खिलाफ यह मामला काफी संवेदनशील है और अब तक किसी प्रकार की राहत मिलने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी ओर से पेश हुए वकील नमित सक्सेना ने दलील दी थी कि रिवॉल्वर की कोई बरामदगी नहीं हुई है, इसलिए क्रिमिनल फोर्स का मामला नहीं बनता है। इसके अलावा, पुलिस ने जिस वीडियो को तोड़ने और जलाने का दावा किया था, वह भी बरामद नहीं हुआ था। ऐसे में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला भी कमजोर था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने कंवरलाल मीणा की याचिका को खारिज करते हुए उन्हें ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद उनके लिए राहत की कोई संभावना नहीं बची है और उनके विधायक पद पर संकट गहराता जा रहा है।

अगला कदम क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंवरलाल मीणा के लिए अब अपने विधायकी बचाने के सभी प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं। दो सप्ताह के भीतर उन्हें ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करना होगा, जिसके बाद उनकी सजा का पालन किया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है और बीजेपी के अंदर भी इस फैसले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

क्या असर पड़ेगा?
इस फैसले से कंवरलाल मीणा की विधायकी के अलावा उनकी राजनीतिक यात्रा पर भी असर पड़ सकता है। बीजेपी पार्टी को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता होगी, खासकर चुनावी दृष्टिकोण से। यह घटनाक्रम राज्य की राजनीति में नए सवाल खड़े कर सकता है।