Chhagan Bhujbal ने ली मंत्री पद की शपथ, कहा - ‘अंत भला तो सब भला

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र की राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाले छगन भुजबल ने मंगलवार को महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा –
“कहते हैं न, अंत भला तो सब भला। मैंने अब तक हर जिम्मेदारी अच्छे से निभाई है और अब भी जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा।”
नाराजगी के बाद मना, अब मंत्री पद की वापसी
77 वर्षीय भुजबल को महायुति सरकार बनने के बाद लंबे समय तक कैबिनेट में जगह नहीं दी गई थी, जिससे वे सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे। पिछले साल दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान भी उन्हें नजरअंदाज किया गया था।
उन्होंने नागपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यहां तक कहा था:
“क्या मैं खिलौना हूं? मुख्यमंत्री फडणवीस मुझे मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन अजित पवार ने फैसला नहीं लिया।”
धनंजय मुंडे की जगह मिलेगी जिम्मेदारी
छगन भुजबल को जो मंत्रालय मिलने की संभावना है, वह खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग है। यह पद धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद खाली हुआ था। मुंडे ने मार्च में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मंत्री पद छोड़ा था।
गौरतलब है कि भुजबल पहले भी दो बार इस मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके हैं और विभागीय कामकाज में उनका अनुभव खासा गहरा रहा है।
OBC नेता के तौर पर पहचान
येवला से विधायक छगन भुजबल महाराष्ट्र में OBC समुदाय के एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। वे राज्य के उपमुख्यमंत्री, लोकनिर्माण मंत्री और गृह मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। उनकी वापसी को महाराष्ट्र की ओबीसी राजनीति में फिर से संतुलन बनाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।
अजित पवार की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब जब भुजबल को फिर से मंत्री पद मिल गया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि खुद NCP प्रमुख अजित पवार इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। माना जा रहा है कि पार्टी में अंदरूनी दबाव और सामाजिक समीकरणों के कारण भुजबल की वापसी तय हुई।
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सत्ता संतुलन और वरिष्ठ नेताओं को संतुष्ट रखना बड़ी चुनौती बन गया है। छगन भुजबल की वापसी को सरकार की इस कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है कि अनुभवी नेताओं को साथ रखा जाए, विशेषकर तब जब विधानसभा चुनावों में अब एक साल से भी कम समय रह गया