Robert Vadra को ED का समन, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज

Robert Vadra को ED का समन, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज

गुरुग्राम की ज़मीन से जुड़े करोड़ों के घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने एक बार फिर रॉबर्ट वाड्रा को तलब किया है। शिकोहपुर ज़मीन डील मामले में यह दूसरा समन है, क्योंकि वाड्रा 8 अप्रैल को भेजे गए पहले नोटिस के बावजूद ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। अब उन्हें 12 अप्रैल को एजेंसी के सामने हाजिर होने के लिए कहा गया है।

क्या है शिकोहपुर ज़मीन डील मामला?

यह मामला साल 2008 का है, जब रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी को गुरुग्राम के शिकोहपुर में 3.53 एकड़ ज़मीन मात्र 7.5 करोड़ रुपये में दी गई थी। यह ज़मीन कॉलोनी डेवलप करने के उद्देश्य से दी गई थी। हरियाणा सरकार ने बाद में इस जमीन में से 2.70 एकड़ हिस्से को कमर्शियल कॉलोनी में बदलने की अनुमति दी और कंपनी को कॉलोनी डेवेलपमेंट का लाइसेंस भी जारी किया गया।

कॉलोनी नहीं बनी, ज़मीन मुनाफे में बेच दी गई

ED को मिली जानकारी के अनुसार, स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी ने कॉलोनी डेवलप करने के बजाय 2012 में यह ज़मीन DLF यूनिवर्सल लिमिटेड को 58 करोड़ रुपये में बेच दी — यानी लगभग 50 करोड़ रुपये का भारी मुनाफा कमाया गया।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यह डील की गई, उस वक्त तक हरियाणा सरकार से लाइसेंस ट्रांसफर की फाइनल मंज़ूरी भी नहीं मिली थी। ईडी को शक है कि इस डील में मनी लॉन्ड्रिंग हुई है।

क्या आज पेश होंगे वाड्रा?

अब एजेंसी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या रॉबर्ट वाड्रा आज ईडी के सामने पेश होंगे? क्या ये मामला उन्हें बड़ी कानूनी मुश्किलों की ओर ले जा रहा है?

ईडी इस पूरे लेन-देन की ट्रांजैक्शन डिटेल्स, डॉक्यूमेंट्स और बैंकिंग जानकारी की जांच कर रही है। साथ ही स्काईलाइट कंपनी के अन्य प्रोजेक्ट्स और पार्टनरशिप की भी जांच की जा रही है।

राजनीतिक हलचल भी तेज

इस मामले ने सियासी हलकों में भी हलचल मचा दी है। विपक्ष इसे "राजनीतिक प्रतिशोध" बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे "कानून की कार्यवाही" कह रहा है।

अब देखना यह होगा कि यह मामला आगे कितनी गहराई तक जाता है और क्या वाड्रा की भूमिका पर कोई ठोस कार्रवाई होती है।