राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों का आक्रोश: वेतन असमानता और उपेक्षा के खिलाफ आंदोलन शुरू!

राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों का आक्रोश: वेतन असमानता और उपेक्षा के खिलाफ आंदोलन शुरू!

राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों का आक्रोश: वेतन असमानता और उपेक्षा के खिलाफ आंदोलन!

जयपुर, राजस्थान के लैब टेक्नीशियन चार दशकों से अपनी उपेक्षा और वेतन असमानता के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ ने जयपुर में आयोजित एक प्रांतीय बैठक में सरकार की नीतियों पर गहरा रोष प्रकट किया। बैठक में खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को अन्यायपूर्ण बताते हुए उसका प्रतीकात्मक दहन किया गया।

वेतन विसंगति और चार दशकों की अनदेखी

प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने सवाल उठाया कि लैब टेक्नीशियन सुबह लिए गए सैंपल की सटीक रिपोर्ट शाम तक उपलब्ध करा देते हैं, लेकिन फिर भी सरकार उन्हें लगातार अनदेखा कर रही है। उनका कहना था कि राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं में लैब टेक्नीशियन की भूमिका अहम है, फिर भी वेतन और ग्रेड पे में अन्य राज्यों की तुलना में भारी असमानता है।

संघ के मीडिया प्रभारी संतोष शर्मा ने कहा कि संघ ने कमेटी को जॉब चार्ट, शैक्षणिक योग्यताओं और दूसरे राज्यों से तुलनात्मक डेटा उपलब्ध कराया था। वार्ता के दौरान कमेटी के सदस्य संतुष्ट भी दिखे थे, लेकिन आखिरकार रिपोर्ट वित्त विभाग के दबाव में तैयार की गई, जिससे सरकार की अनदेखी फिर से सामने आई।

अन्य राज्यों से तुलना: क्यों है राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों के साथ भेदभाव?

संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि हरियाणा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही 10वीं पास, 9 महीने के डिप्लोमा धारकों को 4200 ग्रेड पे देना शुरू कर दिया था।

उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में वेतन और सुविधाएं कहीं बेहतर हैं।
राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों को अभी भी केवल 2800 ग्रेड पे ही मिल रही है।

संघ का आरोप है कि सरकार कुछ अन्य विभागों की मांगों को तुरंत स्वीकार कर लेती है, लेकिन लैब टेक्नीशियनों को नजरअंदाज किया जाता है।

कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल और वित्त विभाग की भूमिका

संघ के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कमेटी की रिपोर्ट निष्पक्ष नहीं है और इसे वित्त विभाग के इशारे पर तैयार किया गया।

संघ के महासचिव तरुण सैनी ने कहा कि – "कमेटी के सदस्य हमारी मांगों और हमारे कार्य की जटिलता को समझते थे, लेकिन रिपोर्ट में इनका कोई उल्लेख नहीं किया गया। यह पूरी तरह से वित्त विभाग द्वारा नियंत्रित निर्णय है।"

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार की प्राथमिकताओं में लैब टेक्नीशियनों को नजरअंदाज किया गया, जबकि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सबसे अधिक जोखिम भरा कार्य करते हैं।

आंदोलन की रणनीति: सरकार को दिया अल्टीमेटम

संघ ने स्पष्ट कर दिया कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों को पूरा नहीं किया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

संभावित रणनीति:
पहला चरण: ज्ञापन सौंपकर सरकार से तत्काल वेतन बढ़ोतरी की मांग
दूसरा चरण: प्रदेशभर में लैब टेक्नीशियनों द्वारा विरोध प्रदर्शन
तीसरा चरण: सरकारी अस्पतालों में जांच सेवाएं रोकने की चेतावनी
चौथा चरण: राज्यव्यापी हड़ताल, जिससे चिकित्सा सेवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है

अगर यह आंदोलन लंबा चला, तो राजस्थान की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर असर: मरीजों के लिए बढ़ सकती हैं मुश्किलें

अगर सरकार और संघ के बीच सहमति नहीं बनती, तो इसका सीधा असर राजस्थान की चिकित्सा सेवाओं पर पड़ेगा।

संभावित प्रभाव:
सरकारी अस्पतालों में ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, एक्स-रे सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
महत्वपूर्ण जांचों में देरी से मरीजों को इलाज में कठिनाई होगी।
प्राइवेट लैब्स का खर्च बढ़ सकता है, जिससे गरीब मरीजों को आर्थिक नुकसान होगा।
आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

संघ का कहना है कि सरकार अगर जल्द निर्णय नहीं लेती, तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।

सरकार की चुप्पी: समाधान क्या हो सकता है?

संघ ने मांग की है कि सरकार तुरंत ग्रेड पे 2800 से बढ़ाकर 4200 करे और वेतन विसंगति को दूर करे।

संभावित समाधान:
संघ और सरकार के बीच खुली बातचीत होनी चाहिए।
लैब टेक्नीशियनों की मांगों पर बजट में स्थान दिया जाए।
अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी ग्रेड पे सुधार किया जाए।
लैब टेक्नीशियनों की सुरक्षा और कार्य परिस्थितियों में सुधार किया जाए।

अगर सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो राजस्थान में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं और यह मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

क्या सरकार लैब टेक्नीशियनों की मांग मानेगी?

राजस्थान में लैब टेक्नीशियनों की उपेक्षा ने चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
चार दशकों से उनकी अनदेखी हो रही है, जिससे कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
अगर सरकार ने जल्द वेतन बढ़ोतरी और ग्रेड पे सुधार पर कदम नहीं उठाया, तो प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

अब यह देखना होगा कि सरकार लैब टेक्नीशियनों की मांगों को मानकर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करती है या फिर संघर्ष और लंबा चलेगा?