St. Petersburg में ट्रंप-पुतिन के दूतों की गुप्त बैठक

St. Petersburg में ट्रंप-पुतिन के दूतों की गुप्त बैठक

दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच सेंट पीटर्सबर्ग में हुई एक बंद कमरे की चार घंटे लंबी बैठक ने वैश्विक राजनीति और यूक्रेन युद्ध पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह मुलाकात युद्धविराम की संभावनाओं के बीच एक बड़ी पहल मानी जा रही है।

क्या हुआ बातचीत में?

इस हाई-प्रोफाइल बैठक में चर्चा केवल युद्ध रोकने तक सीमित नहीं रही। आर्कटिक क्षेत्र में निवेश, दुर्लभ खनिज संसाधनों की साझेदारी और आगामी कूटनीतिक समीकरणों पर भी बातचीत हुई। विटकॉफ के साथ पहुंचे रूस के इन्वेस्टमेंट डिप्लोमैट किरिल दिमित्रियेव को इस संभावित डील का "बैकडोर आर्किटेक्ट" बताया जा रहा है।

पुतिन की सख्त शर्तें

हालांकि पुतिन ने युद्धविराम को लेकर "सैद्धांतिक सहमति" जताई, लेकिन उनकी शर्तें अमेरिका और यूक्रेन के लिए कड़वी हैं:

  • यूक्रेन कभी भी नाटो का सदस्य नहीं बनेगा

  • यूक्रेनी सेना को सीमित किया जाएगा

  • रूस के कब्जे वाले चार क्षेत्र वैध रूप से रूस का हिस्सा माने जाएंगे

इन्हीं शर्तों पर बातचीत अटक गई और कोई अंतिम समझौता नहीं हो सका।

ट्रंप का बयान और यूक्रेनी नाराज़गी

ट्रंप ने सार्वजनिक मंच से बयान दिया — “बहुत लोग मर रहे हैं, अब रूस को आगे बढ़ना होगा…”
वहीं, यूक्रेनी अधिकारियों ने अमेरिका को उस लिस्ट की जानकारी दी है जिसमें युद्धविराम की बातचीत के दौरान भी रूस द्वारा उनके ऊर्जा ढांचे पर हमले किए गए हैं।

शांति की उम्मीद या केवल एक और राजनीतिक ड्रामा?

अब सवाल ये है — क्या ये मुलाकात शांति की दिशा में पहला ठोस कदम है या सिर्फ एक और राजनीतिक फोटो ऑप?
दुनिया की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या कूटनीति इस बार बंदूक से जीत सकेगी।