बागियों को चेयरमैन बनाकर बीजेपी ने चुकाया कर्ज़!

जयपुर नगर निगम हेरिटेज में आखिरकार 4 साल 5 महीने के लंबे इंतज़ार के बाद संचालन समितियों का गठन हो गया है। सरकार ने एक साथ 24 समितियों का गठन किया है, जिनका कार्यकाल 10 नवंबर 2025 तक रहेगा। यहीं नहीं, इसी दिन नगर निगम बोर्ड का भी कार्यकाल खत्म हो जाएगा
इस गठन में सबसे बड़ी बात यह रही कि कांग्रेस की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर को हटाने में बीजेपी का साथ देने वाले पार्षदों को ही इन समितियों में चेयरमैन बनाया गया है. बात करें इतिहास की तो नवंबर 2020 में जब बोर्ड बना था, तब मुनेश गुर्जर कांग्रेस से मेयर बनी थीं, जिन्हें निर्दलीय पार्षदों ने समर्थन दिया था। लेकिन 4 साल तक कोई समिति गठित नहीं हुई. पिछले साल समीकरण बदले, कांग्रेस और निर्दलीय मिलाकर 8 पार्षदों ने बीजेपी को समर्थन दिया, जिसके बाद मुनेश गुर्जर को हटाकर कुसुम यादव को कार्यवाहक मेयर बना दिया गया। अब इन समर्थन देने वाले पार्षदों को चेयरमैन पद का तोहफा दिया गया है।
बीजेपी के समर्थन से चेयरमैन बने ये 7 पार्षद- मनोज मुद्गल, उत्तम शर्मा, ज्योति चौहान, अरविंद मेठी, मोहम्मद जकरिया, पारस जैन, संतोष कंवर, बीजेपी ने इन चेहरों को कमेटियों में चेयरमैन बनाकर अपना वादा पूरा किया है।
लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में एक बड़ा विवाद रवि जैन को लेकर सामने आया है. रवि जैन को फुटकर व्यवसाय पुनर्वास समिति का चेयरमैन बना दिया गया है, जबकि वो फिलहाल किसी वार्ड से पार्षद नहीं हैं. डीएलबी द्वारा जारी प्रस्ताव में भी उनके नाम के आगे न वार्ड नंबर है, न पार्षद पद का कोई उल्लेख। ऐसे में सवाल उठ रहा है –
क्या बिना जांच के आंखें मूंदकर नियुक्तियाँ की गई हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह नियुक्तियाँ, सिर्फ राजनीतिक समीकरण साधने के लिए की गई हैं। बीजेपी ने बागियों को मनाने और अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए चेयरमैन पदों का इस्तेमाल किया है।
तो जयपुर हेरिटेज में जहां एक ओर संचालन समितियों की शुरुआत हुई है, वहीं दूसरी ओर भविष्य के चुनावी समीकरणों की भी बुनियाद रख दी गई है।