बेटी को घोड़ी पर बैठाकर निकाली बिंदोरी
समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढ़िवादी परम्पराओ को जनता धीरे धीरे तिलांजलि देने लगी है. जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था वही अब शिक्षा और जाग्रति से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है. आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार व प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटो के बराबर सम्मान मिलने लगा है. चाहे शिक्षा की बात हो चाहे सम्मान की अब लोग बेटियों को बेटों के बराबर सम्मान व हक़ देने लगे है. वहीं केकड़ी जिले का कंवरावास क़स्बा इन बातो के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है. कंवरावास में रहने वाले शिवराज सिंह राजावत परिवार ने भी समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी छवि राजावत की रविवार को होने वाली शादी से पूर्व उसके सारे लाड चाव लडको की भांति किये. आपको बता दे की शिवराज सिंह राजावत की पुत्री छवि की शादी 18 फरवरी को शेर सिंह के साथ हुई थी. परिजनों ने छवि कवर को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे डीजे के साथ उसकी बिंदोरी निकाली जिसमे सभी परिजनों ने नाच गाकर जश्न मनाया.
शादी से पूर्व परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मो को देखकर गदगद नजर आ रही दुल्हन छवि ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान व सम्मान मिलता है. परिवार ने कभी भी उसके व उसके भाइयो के बिच कोई भेदभाव नहीं किया. उसकी शादी में लड़के के जैसे ही पुरे लाढ़ व चाव किये जा रहे है. आज के युग में बेटियां बेटों से किसी भी कार्य में पीछे नहीं हैं. हमें इस भेदभाव के रिश्ते को हमेशा के लिए समाप्त कर देना है. क्योंकि म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं हैं. आमजन को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की मुहीम चलाई थी जिसकी अपार सफलता के बाद से ही पहले जहां जिले में एक हजार लड़को पर सात सौ तीस लड़कियां थी वही इस अभियान के बाद एक हजार लड़को पर 930 लड़किया हो गई. जिले में अब बेटियों को पूरा मान व सम्मान दिया जा रहा है. जो पुरे देश के सामने अनूठा उदाहरण है. वहीं दूल्हे के परिवार वालो ने भी छवि के पिता से शगुन के नाम पर बस एक रुपये और नारियल लेकर एक आदर्श विवाह का संदेश पूरी दुनिया को दिया है. इससे आगे सभी समाजों में एक अच्छा मैसेज भी जाएगा. साथ ही समाज सुधार होगा. दहेज की कुप्रथा भी बन्द हो सकेगी. यह अनुठा विवाह हर किसी को याद रहने वाला है.