ज्वाला माता दरबार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

ज्वाला माता दरबार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

जयपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोबनेर कस्बे के ऐतिहासिक पहाड़ी पर स्थित ज्वाला माता के मंदिर में चैत्र नवरात्रि के पहले से ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा.. सवेरे से ही माता के भक्तों ने माता के दरबार में हाजरी दी ओर अपनी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद लिया.. 9 दिनों तक मेले में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं... मेले में श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए मंदिर पुजारियों के साथ पुलिस प्रशासन द्वारा व्यवस्था के लिए पुलिस जाब्ता लगाया गया है... वहीं साफ सफाई के लिए पालिका प्रशासन ने अपने सफाई कर्मचारियों को हर समय मुस्तैद रखे हुए हैं। दूर दराज से आने वाले माता के भक्तों की सेवा में भंडारे लगाकर सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सभी समाज के लोग भंडारे लगाकर श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हुए है.

 त्रिकोणाकार पर्वत की गोद में बने ज्वाला माता मंदिर में कामनाप्रद सिद्ध पीठ के रूप में भी पूजन की जाती है। चैत्र मास के नवरात्र मेले में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में अखंड दीप ज्योति प्रज्वलित रहती है। माता के दरबार में हर रोज मंगल आरती एवं संध्या आरती गोधूलि बेला के साथ शंख ध्वनि व नोबत बाजा बजाया जाता है। मेले के दौरान यात्रियों के लिए नि:शुल्क भंडारे, जलपान की व्यवस्था कर स्थानीय लोग आदर सत्कार करते नजर आते हैं। चारों ओर लह लराते ध्वज, जागरण से श्रद्धा-भक्ति से सारोबार बना रहता है। पहाड़ी पर स्थित ज्वाला माता कामना प्रद सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है। नवरात्रि पर देशभर से लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं। माता को विशेष सोलह श्रृंगार कर नौबत शंख वादन के साथ महा आरती की जाती है। माता के दरबार में अखंड दीप ज्योति हमेशा प्रज्वलित रहता है। पहाड़ी पर ज्वाला माता का मंदिर मूल रूप से चौहान काल में संवत 1296 में बनाया गया था। सन् 1600 के आसपास जगमाल पुत्र खंगार जोबनेर के प्रतापी शासक हुए, जो ज्वाला माता के परम श्रद्धालु थे