गर्मी में भड़का हॉस्पिटल स्टाफ, जे.के. लोन में हंगामा

जयपुर के प्रमुख सरकारी अस्पताल जे.के. लोन में शुक्रवार सुबह एक गंभीर प्रशासनिक विवाद सामने आया। पार्किंग को लेकर डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया कि पैरामेडिकल स्टाफ ने अस्पताल के बाहर आकर काम बंद कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस प्रदर्शन की वजह से अस्पताल में ओपीडी सेवाएं, लैब टेस्ट और नर्सिंग सेवाएं पूरी तरह से ठप रहीं, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
विवाद की वजह: पार्किंग की असमान व्यवस्था
मामला अस्पताल परिसर में कवर्ड पार्किंग को लेकर है। पैरामेडिकल स्टाफ का आरोप है कि प्रशासन ने पूरी कवर्ड पार्किंग सिर्फ डॉक्टर्स के लिए आरक्षित कर दी है, जबकि लैब टेक्नीशियन, नर्सिंग स्टाफ, रेडियोग्राफर जैसे अन्य कर्मियों को धूप में खुली जगह पर वाहन खड़े करने पड़ते हैं।
लैब टेक्नीशियन संघ के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि एक छोटी सी कवर्ड जगह जो पहले स्टाफ के दुपहिया वाहनों के लिए छोड़ी गई थी, उसे भी अब एक डॉक्टर के वाहन के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसी को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा और वे प्रदर्शन पर उतर आए।
इमरजेंसी सेवा को छोड़कर पूरा काम बंद
सुबह 10 बजे तक अस्पताल अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा मौके पर नहीं पहुंचे, जिससे स्टाफ की नाराजगी और बढ़ गई। हालांकि इमरजेंसी सेवाएं चालू रखी गईं, लेकिन ओपीडी, ब्लड सैंपल, रेडियोलॉजी और अन्य जांचें पूरी तरह से बंद रहीं। कुछ वार्डों में नर्सिंग स्टाफ ने भी काम का बहिष्कार कर दिया, जिससे मरीजों को देखभाल तक नहीं मिल पाई।
मरीजों की बढ़ी मुश्किलें
इस अप्रत्याशित कार्य बहिष्कार के कारण अस्पताल पहुंचे सैकड़ों मरीजों को बैरंग लौटना पड़ा। कई मरीज जो पहले से अपॉइंटमेंट लेकर जांच कराने आए थे, उन्हें खाली हाथ वापस जाना पड़ा। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर नाराजगी जताई और जल्द समाधान की मांग की।
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल
सबसे बड़ी हैरानी की बात ये रही कि करीब दो घंटे बीत जाने के बावजूद अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई ठोस जवाब या समझौता प्रस्ताव नहीं आया। यह स्थिति न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि कर्मचारियों और मरीजों दोनों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार को भी उजागर करती है।