Foster पेरेंटिंग पर IIHMR यूनिवर्सिटी और यूनिसेफ की दो दिवसीय वर्कशॉप

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर बिहेवियरल साइंसेज़ ने यूनिसेफ के सहयोग से "फोस्टर परिवारों के लिए बिहेवियरल इनसाइट्स-आधारित पेरेंटिंग पैकेज की अवधारणा" विषय पर एक दो दिवसीय स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेशन वर्कशॉप का आयोजन किया।
इस वर्कशॉप का उद्देश्य फोस्टर पेरेंटिंग से जुड़ी चुनौतियों को समझना, व्यवहारिक दृष्टिकोण से समाधान खोजना और बच्चों के लिए एक प्रभावी और सहायक वातावरण सुनिश्चित करने की रणनीतियों पर चर्चा करना रहा।
फोस्टर केयर पर जागरूकता और सहयोग की आवश्यकता
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ. पी.आर. सोडानी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों की परवरिश केवल एक पारिवारिक जिम्मेदारी नहीं बल्कि सामाजिक दायित्व भी है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी का सेंटर फॉर बिहेवियरल साइंसेज़ फोस्टर केयर को मजबूती देने और फोस्टर परिवारों के लिए एक व्यवहारिक पेरेंटिंग पैकेज विकसित करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है।
डॉ. सोडानी ने यह भी कहा कि इस पहल में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, गैर-सरकारी संस्थाएं और समुदायों की भागीदारी आवश्यक है ताकि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और बाल कल्याण के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाया जा सके।
यूनिसेफ का सहयोग और दिशा-निर्देशन
यूनिसेफ राजस्थान के प्रमुख श्री रुशभ हेमानी ने कार्यशाला में फोस्टर पेरेंटिंग को लेकर समाज में जागरूकता की कमी पर चिंता जताई और इसे दूर करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यूनिवर्सिटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की पहलें नीति निर्माण और फील्ड लेवल इम्प्लिमेंटेशन के लिए नींव का काम करती हैं।
विविध हितधारकों की भागीदारी
कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. ममता चौहान ने बताया कि इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में बाल अधिकार विभाग, राजस्थान सरकार, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूट (उदयपुर), फोस्टर केयर सोसाइटी, जतन संस्थान, एक्शन एड, यूनिसेफ और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन अल्टरनेटिव केयर समेत कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।