रावलपिंडी थर्राया- नूर खान एयरबेस पर भारत का सटीक हमला, पाकिस्तान को गहरा झटका

10 मई की रात भारत ने पाकिस्तान को ऐसा जवाब दिया जिसे दशकों तक याद रखा जाएगा। PAF नूर खान एयरबेस को निशाना बनाकर की गई कार्रवाई को 'सर्जिकल स्ट्राइक 3.0' की संज्ञा दी जा रही है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर उफान पर है। 10 मई 2025 की रात, जब पाकिस्तान गहरी नींद में था, तभी भारतीय वायुसेना ने एक सटीक और साहसी मिशन के तहत पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस को पूरी तरह से तबाह कर दिया।
हमला नहीं, एक सैन्य मास्टरस्ट्रोक
यह हमला केवल जवाबी कार्रवाई नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी था। भारतीय वायुसेना ने रात करीब 2 बजे Precision Guided Weapons का इस्तेमाल करते हुए नूर खान एयरबेस के ऑपरेशन कंट्रोल रूम, रडार यूनिट्स और एयरक्राफ्ट हैंगर को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता DG ISPR ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि एयरबेस को काफी नुकसान हुआ है। यह अपने आप में पाकिस्तान के सैन्य ढांचे पर एक गहरा आघात है।
नूर खान एयरबेस क्यों है खास?
रावलपिंडी स्थित यह एयरबेस न केवल पाकिस्तान वायुसेना का रणनीतिक अड्डा है, बल्कि यहां से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित सभी VIP उड़ानें संचालित होती हैं। यहां तैनात हैं:
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C-130 हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
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ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉन) प्लेटफॉर्म्स
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PAF स्क्वाड्रन 6, 10, 12 और 41
साथ ही, यहां चीन द्वारा प्रदान किया गया एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात था — जिसे भारत ने चंद मिनटों में ध्वस्त कर दिया।
1965 की कहानी, 2025 में पलटी
इतिहास गवाह है कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में, पाकिस्तान ने यहीं से C-130 में कमांडोज़ भेजे थे भारत की सीमाओं में... परंतु उनमें से केवल 20 ही जीवित लौटे। आज, लगभग 60 साल बाद, भारत ने उसी एयरबेस पर हमला कर इतिहास को उल्टा दोहराया है।
पाकिस्तान की बड़ी विफलता
इस हमले ने पाकिस्तान की दो प्रमुख विफलताओं को उजागर कर दिया:
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इंटेलिजेंस फेल्योर — भारतीय योजना की भनक तक नहीं लगी।
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एयर डिफेंस सिस्टम की असफलता — जिसे भारतीय वायुसेना ने बिना किसी रुकावट पार किया।
क्या अब अगला निशाना तय है?
इस हमले को विशेषज्ञ सर्जिकल स्ट्राइक 3.0 कह रहे हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या भारत आगे और भी एयरबेस को निशाना बना सकता है?
यह हमला सिर्फ सैन्य नुकसान नहीं है — यह एक राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक झटका है। भारत अब 'पहले सहना, फिर कहना' की नीति को छोड़ चुका है। अब नारा है — "सीधा करना है।"