बांग्लादेश इस्कॉन ने चिन्मय प्रभु को पदों से हटाया
बांग्लादेश में इस्कॉन ने गुरुवार को चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को संगठन के सभी पदों से हटा दिया। इस्कॉन के जनरल सेक्रेटरी चारू चंद्र दास ब्रह्मचारी ने उन्हें अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि चिन्मय प्रभु की गतिविधियों का इस्कॉन से कोई संबंध नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने इस्कॉन से जुड़े हुए प्रदर्शन में वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की मौत के मामले में भी किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया और कहा कि यह घटना एक सड़क दुर्घटना थी, जिसमें उनका कोई हाथ नहीं था।
दास ने इस्कॉन के खिलाफ हो रही आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हमारे संगठन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। हमें सड़क दुर्घटना और उस घटना से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जो पूरी तरह से गलत है।"
इससे पहले, बांग्लादेश के ढाका हाईकोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन के खिलाफ आवश्यक कदम उठाए गए हैं और यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने यह भी जानकारी दी कि अब तक इस मामले में तीन केस दर्ज किए गए हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही बांग्लादेश में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सेना को तैनात किया गया है।
याचिका दायर करने वाले वकील ने इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग करते हुए कहा कि यह सही समय है, लेकिन अदालत ने इस पर निर्णय लेने का अधिकार सरकार को सौंपा। बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर और इसके गतिविधियों को लेकर विवाद गहरा गया है। दास को राजद्रोह के आरोप में जेल भेजे जाने के बाद बांग्लादेश में कई स्थानों पर हिंसा हुई थी, जिससे भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में भी तनाव पैदा हुआ है।