बाल विवाह मुक्त भारत: सरकार और समाज का संयुक्त प्रयास!
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केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने देशभर के धर्मगुरुओं और नागरिक समाज संगठनों से आह्वान किया कि वे बाल विवाह के उन्मूलन के लिए सरकार के प्रयासों में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि जैसे भारत ने सती प्रथा और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों का सफलतापूर्वक खात्मा किया, वैसे ही बाल विवाह भी समाज से पूरी तरह मिटाया जा सकता है।
डॉ. वीरेंद्र कुमार आकांक्षी जिला एवं प्रखंड कार्यक्रम के अंतर्गत एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (AVA) की चार दिवसीय बाल अधिकार प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। AVA, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) का सहयोगी संगठन है, जो 416 जिलों में 250 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रहा है।
बाल विवाह मुक्त भारत: 2030 तक लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता
डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा, हम वह देश हैं जिसने एक बार कुछ ठान लिया, तो उसे पूरा करके दिखाया है। हमने सती प्रथा और बाल मजदूरी जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त किया है, फिर बाल विवाह को भी खत्म करने में क्यों न सफल हों? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत का सपना पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध है।
AVA और नीति आयोग ने हाल ही में 12 राज्यों के 73 जिलों के 15,000 गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए साझेदारी की है। इस पहल के तहत बच्चों को शिक्षा और सरकारी योजनाओं से जोड़ने पर जोर दिया जाएगा।
बाल विवाह रोकने में धर्मगुरुओं और नागरिक संगठनों की भूमिका
डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि धर्मगुरु, पुरोहित, मौलवी, पादरी, ग्रंथी और अन्य धार्मिक नेताओं को समाज में जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभानी होगी। उन्होंने अपील की कि सभी धर्मगुरु अपनी मान्यताओं और परंपराओं से ऊपर उठकर बाल विवाह रोकने के लिए एकजुट हों।
उन्होंने कहा, हमारे धर्मगुरुओं और सामाजिक संगठनों के सहयोग से जागरूकता फैलाकर बाल विवाह को पूरी तरह रोका जा सकता है। यदि हम मिलकर काम करें, तो 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य पूरा करना असंभव नहीं है।
बाल विवाह और बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के लिए ठोस रणनीति
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) के संस्थापक भुवन ऋभु ने इस कार्यक्रम में कहा कि नीति आयोग और AVA की साझेदारी बाल विवाह, बाल मजदूरी और बच्चों की तस्करी को समाप्त करने में निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा, भारत एक ऐसा विश्वगुरु बनने की राह पर है, जो शोषितों और वंचितों को उनके हक दिलाने की अगुआई करेगा। आज पूरी दुनिया हमें देख रही है। अगर हम प्रत्येक बच्चे को शिक्षा और सरकारी योजनाओं से जोड़ सकें, तो यह साझेदारी बाल विवाह और बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने में मील का पत्थर साबित होगी।
सरकार की योजना: बाल विवाह के खिलाफ समग्र रणनीति
सरकार और सामाजिक संगठनों की यह संयुक्त पहल तीन प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित होगी:
रोकथाम: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाना
सुरक्षा: बाल विवाह से प्रभावित बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना
कानूनी कार्रवाई: बाल विवाह करने वालों पर कड़ी सजा लागू करना
सरकार चाइल्ड मैरिज एक्ट को और मजबूत करने पर विचार कर रही है, ताकि 18 साल से कम उम्र में होने वाले विवाहों को पूरी तरह रोका जा सके।
जमीनी स्तर पर बदलाव ला रहे नागरिक संगठन
बाल विवाह रोकने में ग्रामीण और स्थानीय संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। कई गैर-सरकारी संगठनों ने अवैध विवाहों को रोकने और बाल तस्करी के खिलाफ कार्यवाही करने में प्रशासन की मदद की है।
देशभर से आए बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और जिला समन्वयकों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने की प्रतिबद्धता जताई।
निष्कर्ष: एक नई शुरुआत की ओर
बाल विवाह न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेलने वाला एक गंभीर अपराध भी है। इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए सरकार, धर्मगुरु, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
अगर सभी वर्गों का समर्थन मिला, तो निश्चित ही भारत 2030 तक बाल विवाह मुक्त देश बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।