गज़ा के घावों पर मरहम: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का युद्धविराम समझौते का स्वागत!

गज़ा के घावों पर मरहम: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का युद्धविराम समझौते का स्वागत!

भूमिका: गज़ा में शांति की उम्मीद :
गज़ा, जो वर्षों से रक्तपात और विनाश का गवाह रहा है, ने हाल ही में एक राहत की सांस ली जब इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की गई। यह समझौता उन लाखों मासूम नागरिकों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो इस संघर्ष के परिणामस्वरूप पीड़ा झेल रहे हैं। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने इस युद्धविराम का खुले दिल से स्वागत करते हुए इसे गज़ा में राहत और पुनर्निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

युद्ध की विभीषिका: दर्द और पीड़ा की कहानियां :
पिछले 15 महीनों में गज़ा ने जो सहा है, वह किसी भी इंसान के दिल को झकझोर देने के लिए पर्याप्त है। इस संघर्ष में 48,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें बड़ी संख्या में मासूम बच्चे, महिलाएं, डॉक्टर, शिक्षक और पत्रकार शामिल हैं। 

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “यह नरसंहार न केवल इतिहास पर एक बड़ा धब्बा है, बल्कि तथाकथित सभ्य विश्व के लिए भी एक बड़ा सवाल है। जो निर्दोष नागरिकों के जीवन को इस तरह की त्रासदी का शिकार बनते हुए देख रहा है, क्या वह वास्तव में सभ्य कहा जा सकता है?”

युद्धविराम: एक अस्थायी राहत :
यद्यपि युद्धविराम रविवार से लागू हुआ है, लेकिन इस दौरान भी हिंसा जारी रही। सआदतुल्लाह हुसैनी के अनुसार, इजरायल की विस्तारवादी नीतियों और मानवीय सिद्धांतों के प्रति उपेक्षा ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है। 

उन्होंने यह भी कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अब मूकदर्शक बनकर खड़े रहने के बजाय निर्णायक कदम उठाने चाहिए। गज़ा के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए तत्काल प्रयास शुरू करने की आवश्यकता है।”

फिलिस्तीनी स्वतंत्रता की दिशा में कदम :
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष और बलिदान को सम्मानित करते हुए उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई है। संगठन ने जोर देकर कहा है कि इस संघर्ष का समाधान एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना में निहित है। 

मुहम्मद नाज़िमुद्दीन, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा, “स्थायी शांति केवल कब्जे और अन्याय के मूल कारणों को दूर करके ही प्राप्त की जा सकती है। फिलिस्तीनी लोगों को उनके घरों में वापसी का अधिकार मिलना चाहिए और अल-अक्सा मस्जिद की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जानी चाहिए।”

भावनात्मक अपील: एकजुटता और न्याय की पुकार :
गज़ा की जनता ने जो सहा है, वह किसी भी संवेदनशील हृदय को आहत कर सकता है। नाज़िमुद्दीन ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक समुदाय को गज़ा के पीड़ितों की सहायता के लिए सामने आना चाहिए। 

“यह सिर्फ एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं है, यह मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी का भी सवाल है। हमें उनके दर्द को समझना होगा और उनके साथ खड़े होना होगा,” उन्होंने कहा। 

आगे का रास्ता: सह-अस्तित्व और शांति का सपना :
मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए केवल युद्धविराम ही पर्याप्त नहीं है। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्थायी समाधान तभी संभव है जब गज़ा और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों में न्याय सुनिश्चित किया जाए। 

प्रमुख बिंदु :
- युद्धविराम को स्थायी समाधान में बदलने की आवश्यकता।
- इजरायल की नीतियों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराना।
- फिलिस्तीनियों के लिए न्याय और उनके अधिकारों की बहाली।

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की अपील:
संगठन ने यह अपील की है कि वैश्विक शक्तियां और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सभी के लिए सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करें। 

“यह सिर्फ गज़ा का मुद्दा नहीं है, यह पूरी मानवता के भविष्य का सवाल है,” हुसैनी ने कहा।