पतंजलि को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आयुर्वेदिक उत्पादों की दो प्रमुख कंपनियों – डाबर और पतंजलि – के बीच चल रहे विवाद में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने पतंजलि को निर्देश दिया है कि वह डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी भ्रामक या नकारात्मक विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित न करे।
यह आदेश न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने डाबर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
क्या है मामला?
डाबर ने कोर्ट में दलील दी कि पतंजलि द्वारा प्रसारित किया गया च्यवनप्राश से जुड़ा विज्ञापन उसके उत्पाद की छवि खराब कर रहा है। डाबर ने कहा कि विज्ञापन में यह दिखाया गया है कि अन्य ब्रांड्स के च्यवनप्राश “सामान्य” हैं और वे आयुर्वेद की परंपरा से दूर हैं।
डाबर के मुताबिक, यह भ्रामक, दुर्भावनापूर्ण और उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला है। च्यवनप्राश को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत निर्मित किया जाता है, इसलिए इस तरह की तुलना अनुचित है।
कोर्ट में पेश हुए तर्क:
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डाबर के वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने अदालत में दलील दी कि पतंजलि के विज्ञापन में स्वामी रामदेव स्वयं यह कहते नजर आते हैं कि जिन लोगों को वेद और आयुर्वेद का ज्ञान नहीं है, वे पारंपरिक च्यवनप्राश नहीं बना सकते। इससे डाबर जैसे ब्रांड की विश्वसनीयता पर आघात होता है।
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उन्होंने यह भी बताया कि पतंजलि के विज्ञापन में च्यवनप्राश को “सिर्फ 40 औषधियों वाला सामान्य प्रोडक्ट” बताना प्रत्यक्ष रूप से डाबर पर निशाना है, क्योंकि डाबर अपने उत्पाद को "40+ जड़ी-बूटियों से युक्त" बताता है।
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डाबर ने यह भी कहा कि वह च्यवनप्राश बाजार में 60% से अधिक हिस्सेदारी रखता है, और इस तरह के विज्ञापन से न केवल व्यापार को नुकसान हो रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं का विश्वास भी डगमगा रहा है।
पतंजलि की ओर से बचाव:
पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर और जयंत मेहता पेश हुए। हालांकि इस सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अस्थायी तौर पर पतंजलि अपने च्यवनप्राश के विज्ञापन में अन्य ब्रांड्स पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं कर सकता।
अगली सुनवाई 14 जुलाई को
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 के लिए निर्धारित की है। तब तक पतंजलि को विज्ञापन में डाबर या किसी अन्य ब्रांड के प्रति सीधा या अप्रत्यक्ष हमला करने से रोक दिया गया है।
डाबर ने यह भी उल्लेख किया कि पतंजलि पहले भी सुप्रीम कोर्ट में विवादास्पद विज्ञापनों को लेकर अवमानना के मामलों में घिर चुका है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह बार-बार ऐसे प्रयास करता है।