आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सामूहिक इस्तीफा

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सामूहिक इस्तीफा

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में मंगलवार को एक असाधारण घटना हुई, जहां 50 सीनियर डॉक्टर्स ने आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दिया. इस निर्णय के पीछे सीनियर डॉक्टर्स का यह स्पष्ट संदेश था कि वे जूनियर डॉक्टर्स के साथ मजबूती से खड़े हैं. मेडिकल कॉलेज में विभिन्न विभागों और उनके प्रमुखों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें इस्तीफा देने का फैसला लिया गया. एक सीनियर मेंबर ने कहा, "जूनियर डॉक्टर्स एक मकसद के लिए आमरण अनशन कर रहे हैं. हम उनके साथ खड़े हैं और यह संदेश देने के लिए हमने इस्तीफे दिए हैं।" जूनियर डॉक्टर्स का आमरण अनशन अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुका है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी बाहरी दबाव में झुकने के लिए तैयार नहीं हैं और तब तक विरोध जारी रहेगा, जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। जूनियर डॉक्टरों ने 5 अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू किया है और 9 अक्टूबर को देशभर में भूख हड़ताल का भी ऐलान किया है। उनकी प्रमुख मांगों में हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाना शामिल है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों को समर्थन देने का ऐलान किया है. FAIMA ने कहा कि 9 अक्टूबर को पूरे देश में डॉक्टर भूख हड़ताल करेंगे.

 बंगाल सरकार ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट की है, जिसमें कहा गया है कि सरकार अपने सभी वादे पूरे कर रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से अनशन खत्म करने की अपील की है. इससे पहले, जूनियर डॉक्टरों ने 10 अगस्त से 21 सितंबर तक एक बड़ी हड़ताल की थी, जिसमें उन्होंने अपनी 5 मांगें रखी थीं, जिनमें से सरकार ने 3 मांगों को स्वीकार कर लिया था। ममता सरकार ने अन्य दो मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था.

हालांकि, 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में डॉक्टरों और नर्सों के साथ पिटाई के एक मामले के बाद डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू की। 4 अक्टूबर को उन्होंने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा और कहा कि वे काम पर लौट रहे हैं क्योंकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बड़ी है. जूनियर डॉक्टर्स का यह अनशन और सीनियर डॉक्टर्स का सामूहिक इस्तीफा दर्शाता है कि वे अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए पूरी मजबूती के साथ खड़े हैं। अब देखना यह है कि क्या सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी और क्या इस मुद्दे का समाधान निकलेगा।