एक माला, एक बम-राजीव गांधी का आखिरी 1 मिनट

21 मई 1991 की रात, भारत के इतिहास में एक ऐसा काला अध्याय बन गई जिसे भुला पाना नामुमकिन है। रात के 10 बजकर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुए आत्मघाती हमले में देश ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को हमेशा के लिए खो दिया। ये हमला न सिर्फ एक इंसान पर, बल्कि पूरे राष्ट्र की आत्मा पर था।
आख़िरी लम्हा, जो कैमरे में कैद हो गया
श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान राजीव गांधी समर्थकों से घिरे हुए थे। तभी एक महिला धनु, फूलों की माला लिए उनके पास आई और उनके पैर छूने के बहाने झुकते ही RDX से भरी बेल्ट में विस्फोट कर दिया। धमाका इतना भीषण था कि राजीव गांधी और धनु सहित 14 लोग मौके पर ही मारे गए। उनकी पहचान केवल उनके जूतों और घड़ी से हो सकी।
कौन थी धनु? और क्यों किया गया हमला
धनु, लिट्टे (LTTE) की आत्मघाती हमलावर थी। लिट्टे, श्रीलंका का तमिल विद्रोही संगठन है जो भारत के श्रीलंका में हस्तक्षेप से नाराज़ था। इसी नाराज़गी ने इस आत्मघाती हमले को जन्म दिया। सीबीआई की जांच में 26 लोगों को दोषी ठहराया गया। कई को फांसी की सजा दी गई, लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ की सजा को उम्रकैद में बदला और 2022 में 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया।
राजीव गांधी: एक पायलट से प्रधानमंत्री तक का सफर
20 अगस्त 1944 को जन्मे राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े बेटे थे। राजनीति में उनकी कोई विशेष रुचि नहीं थी। वे इंडियन एयरलाइंस में बतौर पायलट कार्यरत थे। इटली की सोनिया माइनो से विवाह कर उन्होंने एक सादा जीवन चुना। लेकिन 1980 में भाई संजय गांधी की असमय मौत के बाद उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा।
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। वे 40 वर्ष की उम्र में देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे और आधुनिक भारत की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कंप्यूटर, टेलीकॉम और युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाए।
34वीं पुण्यतिथि पर देश की श्रद्धांजलि
आज, 21 मई 2025 को उनकी 34वीं पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। वीर भूमि पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित तमाम नेता पहुंचे। राहुल गांधी की एक भावुक पोस्ट वायरल हुई जिसमें उन्होंने अपने पिता की तस्वीर शेयर कर लिखा: "पापा, आपकी यादें हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती हैं। आपके अधूरे सपनों को साकार करना ही मेरा संकल्प है।"
एक और भावुक क्षण तब सामने आया जब राहुल गांधी समाधि से एक फूल उठाकर चुपचाप अपनी जेब में रख लेते हैं – एक बेटा अपने पिता की याद को सहेजता हुआ।
राजनीति से परे एकता की तस्वीर
राजनीतिक मतभेदों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी: "पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि। राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जब बात देश के लिए बलिदान देने वालों की हो, तो पूरा भारत एकजुट हो जाता है।"
राजीव गांधी की विरासत
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "राजीव गांधी भारत के आधुनिकरण के अग्रदूत थे। उन्होंने भारत को डिजिटल भविष्य की राह दिखाई और युवाओं को सशक्त बनाने का सपना देखा।"
आज जब भारत इंटरनेट, स्मार्टफोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बातें करता है, तो उसकी नींव कहीं न कहीं 1980 के दशक में राजीव गांधी ने रखी थी।
अंत में...
21 मई सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक अधूरे सपने की याद है। आज का भारत, राजीव गांधी के सपनों के कितने करीब है – ये सवाल हर भारतीय से खुद पूछने का वक्त है।