डिप्टी CM एकनाथ शिंदे का प्लेन उड़ाने से पायलट ने किया इनकार

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शुक्रवार को जलगांव एयरपोर्ट पर एक अनपेक्षित स्थिति का सामना करना पड़ा, जब उनके चार्टर्ड प्लेन के पायलट ने उड़ान भरने से मना कर दिया। पायलट का कहना था कि उसका ड्यूटी टाइम खत्म हो चुका है, इसलिए वह अब विमान नहीं उड़ा सकता।
शिंदे जलगांव जिले के मुक्ताईनगर में आयोजित संत मुक्ताई की पालकी यात्रा में शामिल होकर लौट रहे थे। इस दौरान उनके साथ मंत्री गिरीश महाजन और गुलाबराव पाटिल भी मौजूद थे।
क्या हुआ एयरपोर्ट पर?
एयरपोर्ट पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने पायलट को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह DGCA के नियमों का हवाला देते हुए अड़ गया। इसके बाद मंत्री महाजन और पाटिल ने एयरलाइन कंपनी से संपर्क कर स्थिति स्पष्ट की।
करीब एक घंटे की चर्चा और समझाइश के बाद, एयरलाइन की अनुमति से पायलट ने उड़ान भरने के लिए हामी भरी।
क्यों पायलट ने उड़ान भरने से किया इनकार?
पायलट ने अपने फैसले के पीछे जो कारण बताए, वो सिविल एविएशन के नियमों के अनुसार पूरी तरह वैध थे:
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कोई भी पायलट एक दिन में औसतन 8 से 9 घंटे से ज्यादा फ्लाइंग नहीं कर सकता।
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पायलट का ड्यूटी टाइम एयरपोर्ट पर रिपोर्ट करने के समय से शुरू होता है और अगले रेस्ट टाइम तक जारी रहता है।
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यदि यह समयसीमा पार हो जाती है, तो बिना पर्याप्त विश्राम के पायलट को दोबारा फ्लाइट डेक में बैठाना सुरक्षा नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
नियमों के मुताबिक क्या है पायलट का ड्यूटी और रेस्ट टाइम?
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ड्यूटी आवर्स: 8 से 13 घंटे तक, यह निर्भर करता है कि फ्लाइट दिन में है या रात में, कितनी लंबी उड़ान है, और क्रू में कितने लोग हैं।
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रेस्ट टाइम: 12 से 14 घंटे तक का ब्रेक अनिवार्य होता है, जो पिछली ड्यूटी की लंबाई और फ्लाइट की संख्या के अनुसार तय होता है।
यदि पायलट ने नाइट फ्लाइट या लंबी ड्यूटी की है, तो यह रेस्ट टाइम और भी बढ़ सकता है। जब तक यह समय पूरा नहीं होता, तब तक पायलट को दोबारा ड्यूटी पर नहीं बुलाया जा सकता।
क्या नियमों में कोई अपवाद संभव है?
कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि VVIP मूवमेंट, रक्षा मंत्रालय या DGCA की अनुमति से, इन नियमों में अस्थायी बदलाव किए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है और यह निर्णय सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए ही लिया जाता है।