कुछ नहीं बचता है' ये शब्द हर गरीब-मिडिल क्लास की कहानी
"कुछ नहीं बचता है" – ...आज के गरीब और मिडिल क्लास की असली कहानी है ये... ...अजीत जो एक छोटे कस्बे का एक साधारण नाई है...., अपने छोटे से सैलून में दिनभर काम करता है.... उसके ग्राहक, जो कभी-कभी राजनीति की चर्चा के साथ बाल कटवाने आते हैं, उसकी दुनिया में कुछ हलचल जरूर लाते हैं,... लेकिन हकीकत में हर महीने के अंत में अजीत की जेबें खाली ही रहती हैं...ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि इस महँगाई के दौर में बढ़ते खर्चों और बचत के संघर्ष में फँसा अजीत मानता है कि "कुछ नहीं बचता है" – और यह सिर्फ इसी की कहानी नहीं है.... .यह कहानी हर एक उस इंसान की है जो महँगाई के दौर में जी रहा है... देश के तमाम मिडिल क्लास की दर्दभरी कहानी है ये... अब जिंदगी के इस सफर में सबसे बड़ा सवाल यह है कि हर महीने की मेहनत के बाद भी क्यों कुछ नहीं बचता....किराये, बिजली का बिल, और घर के छोटे-मोटे खर्चों में उसकी पूरी कमाई खर्च हो जाती है...ये सब बाते अजीत भी सोच ही रहा था की ..अचानक वो कुछ ऐसा देखता है की उसकी आंखे चौंक जाती है.. ऐसा क्या देखा है उसने आपको आगे बताते है..
उसकी दूकान पर जहां राजनीति की चर्चाएं होती थी उसने पूरे जीवन में सोचा भी नहीं होगा की अचानक से ही उसका हाल जानने के लिए राजनीति का जाना- माना चेहरा राहुल गांधी उसकी दूकान पर आ जाऐंगे.. तो चलिए बताते है आपको पूरी कहानी क्या है... राहुल गांधी ने शुक्रवार को X पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे दिल्ली के एक सलून पर पहुंचे.. वे यहां शेविंग करवाते नजर आ रहे हैं... यह सलून अजीत चलाते हैं...उन्होंने राहुल को बताया कि कैसे वे दिनभर काम करते हैं ताकि दिन के आखिर में कुछ पैसे बचा सकें.... कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हाल ही में देश की बढ़ती महंगाई और आर्थिक चुनौतियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है... इस बीच अजीत ने राहुल गांधी से अपने जीवन के संघर्षों को साझा किया...अजीत ने कहा, “कांग्रेस के राज में हमें सुकून मिलता था...हमने सोचा था कि हमारा भविष्य बेहतर होगा, लेकिन हम यहीं के यहीं रह गए हैं... हम दिव्यांग हैं और हमारी जिंदगी ऐसे ही कट रही है.. बच्चों का भविष्य अधर में है.. आपके राज में हम बहुत खुश थे। कांग्रेस के राज में सुकून था।”
वहीं राहुल गांधी ने भी इस बातचीत के दौरान महंगाई के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया... उन्होंने अपनी पोस्ट में भी लिखा, “बढ़ती महंगाई ने मेहनतकश के अरमान छीन लिए हैं... नाई से लेकर मोची, कुम्हार से लेकर बढ़ई, घटती आमदनी और बढ़ती महंगाई ने हाथ से काम करने वालों से उनकी दुकान, मकान और स्वाभिमान तक के अरमान छीन लिए हैं।”राहुल ने आगे कहा कि आज की आवश्यकता है ऐसे आधुनिक उपायों और नई योजनाओं की, जो आमदनी में बढ़ोतरी और घरों में बचत वापस लाएं...उन्होंने यह भी कहा कि समाज में हुनर को हक मिलना चाहिए और मेहनत का हर कदम तरक्की की सीढ़ियां चढ़ाने वाला होना चाहिए..
यह कहानी यहां खत्म नहीं होती है..और शायद हो भी ना... क्योंकि यह हालात सिर्फ एक इंसान के नहीं है .. बल्कि ऐसे बहुत से लोगों का है जो बढ़ती महंगाई से परेशान है... टीवी पर नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन हमारे जैसे छोटे लोगों की जिंदगी में बदलाव नहीं आता।" .. हम अपनी रोज़ की कमाई में एक बेहतर जिंदगी का सपना देखते है, लेकिन हर महीने वही..... "कुछ नहीं बचता है" इस सच्चाई से सामना करना पड़ता है... कई बार सरकारी योजनाओं के बारे में हम सुनते है की – आर्थिक सहायता, सब्सिडी, छोटे व्यवसायियों के लिए लोन... लेकिन जब हम इन योजनाओं का लाभ लेने की कोशिश करते है, तो या तो कागज़ी कार्यवाही के अड़चनों में उलझ जाते है या फिर उससे "पहले से तय" लोग ही इसका लाभ ले जाते हैं... यह राजनीति की उस कड़वी सच्चाई को दर्शाता है, जहाँ योजनाएँ ज़मीन तक नहीं पहुँच पातीं है... और कब तक ऐसा ही चलता रहेगा इसका भी किसी को कोई अंदाजा नहीं है... ना जाने हम कब तक ऐसे ही इस महंगाई से परेशान होते रहेगें ..सरकार चाहें जो भी आए ..लेकिन हालात ऐसे के ऐसे ही है.. बदलने का तो सवाल ही नहीं उठ रहा है... लेकिन कब तक.. सबसे बड़ा सवाल यही है....