आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा - मोदी की गारंटी, कांग्रेस की सोच- आरक्षण कम, तुष्टिकरण ज्यादा- मालवीय

आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा - मोदी की गारंटी,  कांग्रेस की सोच- आरक्षण कम, तुष्टिकरण ज्यादा- मालवीय

कांग्रेस को रुसवा कर बीजेपी का दामन थामने वाले महेन्द्रजीत सिंह मालवीय निराश हैं. वे बांसवाडा से बीजेपी के प्रत्याशी हैं. खुद पीएम मोदी उनके समर्थन में  बांसवाड़ा में रोड शो कर चुके हैं लेकिन वे फिर भी तनाव में हैं. तनाव की वजह है बीजेपी के कुछ नेता. जो मालवीय से नाराज चल रहे हैं. मालवीय की रैलियों, जनसभाओँ तक में ये नेता गायब रहे हैं. मालवीय के रोड शो में भी लोगों की भीड़ भी नहीं जुट पाई. अब 26 अप्रैल को यहां मतदान हैं और यहां विपक्ष का पलड़ा इस सीट पर भारी पडता दिख रहा है. सबसे चौंकाने वाली बात यह नजर आई कि. बीते रविवार को पीएम मोदी ने इलाके में कई चुनावी सभाएं की. लेकिन बावजूद इसके बाड़मेर लोकसभा सीट पर बीजेपी एकजुट नहीं दिख रही है.

इसको लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. बीती शाम महेंद्रजीत सिंह मालवीय के रोड शो को देखने के बाद यहीं अंदाजा लगाया जा रहा है. सियासी चर्चा है कि बाड़मेर में मालवीय को लेकर बीजेपी में गुटबाजी है. जिसका खामियाजा मालवीय को भुगतना पड़ सकता है. इस दौरान मालवीय के रोड शो के दौरान बीजेपी के नेता गायब रहे तो रोड शो में लोगों की भीड़ भी नहीं जुटी. इसको लेकर अब बीजेपी की चिंता बढ़ गई है. पीएम मोदी की चुनावी सभा को लेकर माना जा रहा था कि बीजेपी मजबूत स्थिति में आ जाएगी. लेकिन चर्चा है कि पीएम मोदी की सभा के बाद भी बीजेपी में एकजुटता नहीं है . इसके कारण मालवीय का रोड शो फीका नजर आया. अपेक्षाकृत भीड़ नहीं जुड़ने से बीजेपी की चिंता बढ़ गई है. इधर, मालवीय के रोड शो में भीड़ नहीं जुटने के बाद पीएम मोदी की सभा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. इस संबंध में बीजेपी के नेता तरह-तरह के तर्क देते हुए नजर आ रहे हैं. जैसा का बांसवाड़ा लोकसभा सीट से महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को टिकट देने के साथ ही चर्चाएं शुरु हो चुकी थी कि. सालो से मालवीय के खिलाफ संघर्ष कर रहे बीजेपी के छोटे बडे नेता कार्यकर्ता आखिर कैसे उनका साथ देंगे. इस सीट पर बीजेपी को भितरघात का अंदेशा शुरु से ही लगाया जा रहा था. और मतदान में महज एक दिन शेष है स्थितियां  मालवीय के पक्ष में नजर नहीं आ रही है. बीजेपी नेताओँ में यहां फूट साफ नजर आ रही है. बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है.  यहां पर बीजेपी को एकजुट करने और वहां की सियासी समीकरणों को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी ने बीते रविवार को चुनावी सभा की. जहां उन्होंने आदिवासी वोटर्स को साधने की पूरी कोशिश की.  पीएम मोदी की सभा बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जान फूंकने और एक जुट करने के लिए काफी अहम मानी जाती है, लेकिन मालवीय के रोड शो के बाद यहां कुछ और ही सियासी समीकरण दिखाई दे रही है. वैसे भी बांसवाड़ा सीट काफी चर्चाओँ में रही है. यहां त्रिकोणीय मुकाबला है.

हांलाकि यहां कांग्रेस ने बीएपी को समर्थन दे रखा है जिसके उम्मीदवार राजकुमार रोत हैं. जो  अपने नामांकन के दिन से ही चर्चाओं में हैं. हांलाकि राजकुमार रोत को समर्थन देने से पहले कांग्रेस अरविन्द डामोर को अपना उम्मीदवार बना चुकी है . बीएपी से गठबंधन के बाद कांग्रेस के कहने पर भी डामोर ने अपना नाम वापिस नहीं लिया था. अब वे भी चुनाव मैदान में हैं. हांलाकि जमीनी स्थिति देखें तो बीएपी के प्रत्याशी राजकुमार रोत यहां से सबसे मजबूत स्थिति में नजर आ रेह हैं. 31 साल के रोत ने खुद ने पूरे चुनाव को बेहतरीन तरीके से मैनेज कर लिाय है. बीते रविवार को मोदी की चुनावी सभा के बाद राजकुमार रोत ने मोदी के बयानों , भाषणों पर जोरदार काउंटर किया है. मोदी की ओर से दिए गए भाषण के बाद इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राजकुमार रोत उन्हें घेरकर आदिवासी वोटर्स को अपनी ओर मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. राजकुमार रोत ने आरोप लगााया कि पीएम ने सभा में आदिवासी समाज को गाली दी है. उन्होंने कहा कि मोदी ने वनवासी और आदिवासी कह कर आदिवासी समाज को बांटने की बात कही. जो भाजपा के साथ है पार्टी उन्हें वनवासी कहती है और जो उनके साथ नहीं है वो आदिवासी हैं. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने बयान देकर आदिवासी समाज में जहर बोने का प्रयास किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी ने धर्म के नाम पर लोगों से वोट मांग कर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. दूसरी ओर महेन्द्रजीत सिंह मालवीय काफी चिन्तित नजर आ रहे हैं. एक तरफ राजकुमार रोत पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड रहे हैं और दूसरी तरफ मालवीय स्थानीय बीजेपी नेताओं में पराये होकर चुनाव लड रहे हैं. आखिरी उम्मीद उनकी मोदी के दौरे को लेकर थी कि शायद पीएम मोदी आकर सब संभाल लेंगे. लेकिन यहां मालवीय के लिए ज्यादा बेतहर स्थिति नहीं बन रही है