एग्नोसिस: भारत में ऑटिज़्म निदान को सरल, सटीक और सुलभ बनाने की पहल!
भारत में ऑटिज़्म और विकासात्मक विकारों का समय पर निदान करना एक जटिल चुनौती है। देश में बाल विकास विशेषज्ञों की कमी और जागरूकता की कमी के कारण, ऑटिज़्म का निदान अक्सर देरी से होता है। इसका परिणाम यह है कि बच्चों को उनकी विकासात्मक आवश्यकताओं के लिए समय पर सही सहायता नहीं मिल पाती।
एग्नोसिस, एक अभिनव स्वास्थ्य तकनीकी समाधान, इस समस्या को हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। दिव्यांश मंगल और रक्षीत जैन द्वारा विकसित यह एआई-आधारित टूल ऑटिज़्म निदान प्रक्रिया को सटीक और तेज़ बनाने का प्रयास करता है।
समस्या की गहराई :
भारत में ऑटिज़्म के मामलों की पहचान और उनका उपचार एक बड़ी चुनौती है। एक अनुमान के अनुसार, हर 68 में से 1 बच्चा ऑटिज़्म से प्रभावित होता है। हालांकि, अधिकांश मामलों में इसका निदान 4.5 साल या उससे अधिक उम्र में होता है। इस देर से निदान के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
1. विशेषज्ञों की कमी : बाल रोग विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों की भारी कमी।
2. संसाधनों की कमी : महंगे उपकरण जैसे आई-ट्रैकर्स और जटिल प्रक्रियाओं तक सीमित पहुंच।
देर से निदान का असर बच्चों की न्यूरोप्लास्टिसिटी पर पड़ता है, जिससे उनके उपचार और विकास में बाधा आती है।
एग्नोसिस की शुरुआत :
दिव्यांश मंगल और रक्षीत जैन, जिन्होंने अपने परिवारों में बाल रोग विशेषज्ञों के साथ काम किया और 20 वर्षों से न्यूरोडाइवर्स बच्चों के साथ अनुभव प्राप्त किया, ने महसूस किया कि भारत को एक सस्ता, प्रभावी और सुलभ समाधान चाहिए। इसी विचार से एग्नोसिस की नींव रखी गई।
उनका उद्देश्य है :
- जल्दी और सटीक निदान।
- भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समाधान की पहुंच।
- निदान को लागत-प्रभावी बनाना।
एग्नोसिस का अभिनव समाधान :
एग्नोसिस का एआई-पावर्ड स्क्रीनिंग टूल एक साधारण वेबकैम के माध्यम से 4 मिनट में बच्चों की ऑटिज़्म संबंधी लक्षणों की पहचान करता है। यह टूल नजर की गतिविधियों, सामाजिक ध्यान और अन्य संकेतकों का मूल्यांकन करता है।
प्रमुख विशेषताएं :
1. किफायती समाधान: महंगे आई-ट्रैकर्स और अन्य उपकरणों की जरूरत को खत्म करता है।
2. त्वरित मूल्यांकन: केवल 4 मिनट में परिणाम।
3. सटीक निदान: वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित एआई मॉडल का उपयोग।
4. सुलभता: यह समाधान देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंच सकता है।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन:
एग्नोसिस की सफलता में डॉ. एस. सीता रामन का मार्गदर्शन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 40 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित विकासात्मक बाल रोग विशेषज्ञों में से एक हैं। उनके सहयोग ने एग्नोसिस को चिकित्सीय आवश्यकताओं के साथ प्रभावी ढंग से संरेखित करने में मदद की है।
वर्तमान प्रगति:
एग्नोसिस को अहमदाबाद यूनिवर्सिटी और सीएमआई एम्स दिल्ली में इनक्यूबेट किया गया है। यह समाधान निरंतर परीक्षण और सुधार के दौर से गुजर रहा है ताकि इसे व्यापक स्तर पर लागू किया जा सके।
संस्थापकों की यात्रा:
दिव्यांश और रक्षीत ने अपने स्टार्टअप को बड़े पैमाने पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से शार्क टैंक इंडिया पर प्रस्तुत किया। उनकी दृष्टि भारत में ऑटिज़्म निदान को एक नई दिशा देने की है।
एग्नोसिस न केवल ऑटिज़्म निदान को तेज़ और सटीक बनाने का वादा करता है, बल्कि यह समाधान स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांति का प्रतीक है। इसके व्यापक उपयोग से भारत में लाखों बच्चों और उनके परिवारों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।