इबादत, इल्म और अमन: मदरसा जामियातुततयिवात का सालाना जलसा एक रूहानी सफर!
जयपुर। हज हाउस कर्बला में आयोजित मदरसा जामियातुततयिवात व मदरसा मकतबुल कुरआन सुफ्फा का सालाना इजलासे आम, इबादत और इल्म की रौशनी से भरपूर रहा। हजरत मौलाना महफूज नासिर साहब की सदारत और मशहूर आलिमों की मौजूदगी में यह कार्यक्रम समाज को दीनी और इस्लाही सीख देने के मकसद से कामयाब रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत:
कार्यक्रम का आगाज़ कुरआन-ए-पाक की तिलावत और नात-ए-पाक से हुआ। मौलाना मोहम्मद तौहीद मजाहिरी साहब ने इस इजलास की इफ्तेताह की। उनके नेतृत्व में, बच्चों और बच्चियों ने अपने हुनर और इल्मी कोशिशों का बेहतरीन प्रदर्शन किया।
हिफ्ज़-ए-कुरआन और आलिमा की कामयाबी:
इस साल मदरसे ने कामयाबी की नई मिसाल कायम की। 6 बच्चों ने कुरआन-ए-पाक को हिफ्ज़ किया, और 17 बच्चियों ने आलिमा की पढ़ाई मुकम्मल की। इन तमाम छात्रों की मेहनत पर मौलाना ने खास मुबारकबाद पेश की।
इस्लामी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा:
प्रोग्राम में मौलाना अब्दुल वाहिद, मौलाना अजीमुद्दीन और मौलाना नसीरुद्दीन जैसे आलिमों ने समाज में बढ़ती बुराइयों को कुरआन और हदीस की रोशनी में हल करने की राह दिखाई। खासतौर पर बच्चियों के मुकालमों ने तालीम और तरबियत की अहमियत पर जोर दिया।
दस्तारबंदी और दुआ:
इस मुबारक मौके पर खत्म-ए-बुखारी शरीफ हुआ, जहां बच्चियों ने बुखारी शरीफ मुकम्मल की। इसके बाद हुफ्फाज-ए-इकराम की दस्तारबंदी की गई। इस आयोजन ने रूहानी और इल्मी माहौल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
जलसे की खास बातें:
- इल्म का प्रचार: बच्चों और बच्चियों ने दीनी तालीम और इल्म के महत्व को बखूबी समझाया।
- सामाजिक बुराइयों पर प्रकाश: इस्लामी शिक्षाओं के जरिए बुराइयों के खात्मे की बातें की गईं।
- भाईचारा और अमन का संदेश: जलसे ने शांति और मोहब्बत का पैगाम दिया।
- खास मेहमानों का संबोधन: मशहूर आलिमों ने समाज और इंसानियत की तरक्की पर अपने विचार पेश किए।
मौलाना महफूज नासिर साहब ने आखिर में सबको इस्लामी तालीम पर अमल करने की ताकीद की और सभी के लिए दुआ की। यह इजलास हर शख्स के दिल में एक रूहानी एहसास छोड़ गया।