मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर विवाद, कांग्रेस और भाजपा के बीच बयानबाजी
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद उठ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार वहीं करने का निवेदन किया, जहां उनके स्मारक का निर्माण हो सके। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, डॉ. सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी यही चाहती थीं कि उनका स्मारक उसी स्थान पर बने जहां उनका अंतिम संस्कार हो।
इस पर गृह मंत्रालय ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया है, लेकिन स्मारक दिल्ली में ही बनेगा। इसके लिए उचित स्थान की तलाश की जाएगी और इसके निर्माण के लिए एक ट्रस्ट भी गठित किया जाएगा। हालांकि, मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में समय लगेगा।
गृह मंत्रालय के इस जवाब के बाद कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार अब तक स्मारक बनाने के लिए जमीन भी नहीं तलाश पाई है, और यह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए शक्ति स्थल (इंदिरा गांधी का स्मारक) या वीरभूमि (राजीव गांधी का स्मारक) के पास का सुझाव दिया, ताकि उनका स्मारक एक ऐतिहासिक स्थान पर बने।
वहीं, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस ने डॉ. मनमोहन सिंह को कभी सम्मान नहीं दिया, और आज उनके निधन के बाद भी राजनीति की जा रही है।"
भाजपा प्रवक्ता सीआर केसवन ने भी तंज कसते हुए कहा, "UPA सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कभी कोई स्मारक नहीं बनाया। उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय में भी नहीं रखा गया। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।"
इस विवाद ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है और सवाल उठाए हैं कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को उस स्तर का सम्मान मिलेगा, जिसके वह हकदार थे।