सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने सुनाई सजा
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को यह स्वीकार कर लिया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने में उनकी भूमिका रही थी। इस मामले पर अकाल तख्त में पांच सिंह साहिबानों की अहम बैठक हुई, जिसमें सुखबीर बादल और 2015 की अकाली सरकार के अन्य कैबिनेट सदस्यों को धार्मिक दुराचार का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई।
धार्मिक सेवा में दंड
अकाल तख्त ने सजा के तौर पर सुखबीर बादल और अन्य दोषियों को स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने, बर्तन धोने और अन्य धार्मिक सेवा करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि दो महीने पहले अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को 'तनखैया' यानी धार्मिक दुराचार का दोषी घोषित किया था।
अकाल तख्त का बड़ा फैसला
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल की कार्य समिति को निर्देश दिया है कि तीन दिनों के भीतर सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए और अकाल तख्त को इसकी रिपोर्ट दी जाए। साथ ही, पार्टी को छह महीने के भीतर नए अध्यक्ष का चुनाव करने का निर्देश दिया गया है।
प्रकाश सिंह बादल से 'फकर-ए-कौम' उपाधि वापस
2007 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम द्वारा गुरु गोबिंद सिंह की वेशभूषा में अमृत छकाने का नाटक रचाने को लेकर विरोध हुआ था। इसी घटना को ध्यान में रखते हुए, अकाल तख्त ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से उनकी 'फकर-ए-कौम' उपाधि भी वापस ले ली है।
मामले की पृष्ठभूमि
2007 की इस घटना के बाद राम रहीम के खिलाफ पुलिस केस दर्ज हुआ था। लेकिन 2015 में अकाली सरकार ने राम रहीम को सजा दिलाने के बजाय उसके खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए थे, जिससे सिख समुदाय में भारी आक्रोश पैदा हुआ था।
अकाल तख्त के इस कड़े फैसले के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब देखना होगा कि शिरोमणि अकाली दल इस पर क्या कदम उठाता है और सुखबीर बादल के इस्तीफे पर क्या फैसला लिया जाता है।