क्रिकेटर भेजते थे न्यूड फोटो, करते थे शारीरिक संबंध की डिमांड

भारतीय क्रिकेट के गलियारों से एक चौंकाने वाली और दिल झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। पूर्व भारतीय बल्लेबाज और टीम इंडिया के पूर्व बैटिंग कोच संजय बांगर की बेटी अनया बांगर (जो पहले आर्यन थीं) ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी ज़िंदगी के सबसे संवेदनशील और तकलीफदेह पहलुओं को साझा किया।
अनया ने एक प्रमुख डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को दिए इंटरव्यू में बताया कि जेंडर-एफ़र्मिंग सर्जरी के बाद उनकी ज़िंदगी में कई बदलाव आए, लेकिन सबसे बड़ा झटका उन्हें क्रिकेट जैसे ‘जेंटलमैन गेम’ में मिला, जहां कुछ क्रिकेटर्स ने उनका यौन उत्पीड़न किया, अश्लील मैसेज भेजे और संबंध बनाने की डिमांड तक कर डाली।
“न्यूड तस्वीरें भेजते थे, अश्लील बातें करते थे…”
अनया ने कहा, “मेरे ट्रांजिशन के बाद जहां कुछ लोगों ने मुझे सपोर्ट किया, वहीं कुछ ने न्यूड फोटोज भेजना शुरू कर दिया। एक क्रिकेटर तो मुझे सबके सामने गालियां देता था और फिर अकेले में मेरे फोटो मांगता था।”
अनाया ने एक बेहद परेशान कर देने वाली घटना का जिक्र करते हुए बताया कि, “एक सीनियर क्रिकेटर ने मुझे कहा कि कार में चलो, मुझे तुम्हारे साथ सोना है।”
क्रिकेट से अनजाने में बाहर कर दी गई अनया
अनया, जो खुद एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज थीं, इस्लाम जिमखाना क्लब और हिंक्ले क्रिकेट क्लब, लीसेस्टरशायर से खेल चुकी हैं। लेकिन ट्रांजिशन के बाद उन्हें प्रोफेशनल क्रिकेट से बाहर कर दिया गया।
ICC (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) ने नवंबर 2023 में एक नियम लागू किया जिसके तहत जो भी खिलाड़ी पुरुष यौवन (male puberty) से गुज़रा हो, उसे महिला क्रिकेट में खेलने की अनुमति नहीं मिलेगी।
इसके बाद ECB (इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड) ने भी जनवरी 2025 से ट्रांसवुमन खिलाड़ियों को एलीट महिला क्रिकेट से बाहर करने का फैसला लिया।
अनया की सोशल मीडिया पोस्ट ने बयां किया दर्द
अनया ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में इन नीतियों को लेकर नाराजगी जताई थी और लिखा था कि "स्पोर्ट्स तो सबका है, लेकिन सिस्टम कुछ लोगों को इंसान नहीं मानता।”
खेल का मैदान कब देगा बराबरी?
अनया की कहानी सिर्फ उनकी नहीं है, यह उन हज़ारों ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों की कहानी है जिन्हें पहचान, समानता और अवसर के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है।
यह सवाल अब भी कायम है — क्या खेल सिर्फ जीत और हार तक सीमित है, या इसमें इंसानियत, समावेशिता और समान अधिकार की भी जगह है?