डॉ. कमलेश शर्मा को मिला 13वां श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति संरक्षण पुरस्कार!

डॉ. कमलेश शर्मा को मिला 13वां श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति संरक्षण पुरस्कार!

जयपुर। रणथंभौर की विश्व प्रसिद्ध संस्था टाइगर वॉच द्वारा वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाने वाले "श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार - 2025" के तहत डॉ. कमलेश शर्मा को "पीपल एंड नेचर सर्विसेज टू वाइल्डलाइफ अवार्ड" से सम्मानित किया गया। डॉ. शर्मा, जो वर्तमान में राजस्थान पुलिस मुख्यालय, जयपुर में अतिरिक्त निदेशक (सूचना एवं जनसंपर्क विभाग) के रूप में कार्यरत हैं, ने अपने लेखन, शोध और फोटोग्राफी के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण व पर्यावरण जागरूकता के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

बांसवाड़ा जिले के बड़ोदिया कस्बे के मूल निवासी डॉ. कमलेश शर्मा को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार सवाई माधोपुर के फतेह पब्लिक स्कूल में आयोजित 13वें श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति व्याख्यान एवं संरक्षण पुरस्कार - 2025 समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं 21,000 रुपये का चेक प्रदान कर सम्मानित किया गया।

वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता में डॉ. शर्मा का योगदान

डॉ. शर्मा को यह पुरस्कार उनकी वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरणीय लेखन, फोटोग्राफी और जनजागरूकता अभियानों में दीर्घकालिक समर्पण के लिए दिया गया। उन्होंने अपने 25 वर्षों के करियर में वन्यजीव, पक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय मुद्दों पर लेखन और फोटोग्राफी के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके लेख देशभर की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें पर्यावरणीय विषयों पर विस्तृत शोध और जागरूकता सामग्री शामिल है।

टाइगर वॉच के ख्यातिप्राप्त जीव विज्ञानी डॉ. धर्मेंद्र खांडल ने डॉ. शर्मा के उल्लेखनीय कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका चयन वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय पत्रकारिता के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के आधार पर किया गया।

समारोह में शामिल गणमान्य अतिथि

इस महत्वपूर्ण अवसर पर वन्यजीव संरक्षण से जुड़े कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:

  • राजस्थान के हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स (HOF) अरिजीत बनर्जी
  • महाराष्ट्र के रिटायर्ड पीसीसीएफ और पर्यावरणविद् सुनील लिमये
  • सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर अनूप के. राघवन
  • प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ हर्षवर्धन
  • पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा
  • वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया

इसके अलावा, देशभर से पर्यावरणविदों, शोधकर्ताओं, वन्यजीव प्रेमियों और पत्रकारों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया।

डॉ. शर्मा का वन्यजीव संरक्षण में योगदान

डॉ. शर्मा की विशेषज्ञता केवल लेखन और पत्रकारिता तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने वन्यजीव संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं और अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। इनमें से कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:

1. बर्ड फेस्टिवल की शुरुआत में अहम भूमिका

डॉ. शर्मा ने डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर और जयपुर में आयोजित हुए बर्ड फेस्टिवल की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन उत्सवों के माध्यम से स्थानीय लोगों और युवाओं में पक्षी संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया गया।

2. खतरे के निकट घोषित पक्षियों की सुरक्षा

डूंगरपुर में ब्लैक-हेडेड आईबिस (Black-headed Ibis) के सैकड़ों घोंसलों वाले वृक्षों को काटे जाने के विरोध में अभियान चलाकर 200 से अधिक पक्षियों और उनके चूजों को जीवनदान देने में अहम भूमिका निभाई।

3. कुंभलगढ़ में बाघ पुनर्वास के प्रति जागरूकता अभियान

कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों के पुनर्वास को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम चलाया, जिससे ग्रामीण समुदायों को सही जानकारी मिल सके और वे संरक्षण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।

4. वन प्रकृति शिक्षा केंद्र की स्थापना की मुहिम

डॉ. शर्मा ने श्यामपुरा में एक साथ 38 प्रजातियों के पक्षियों की अवस्थिति का पता लगाया और इसे "वन प्रकृति शिक्षा केंद्र" के रूप में विकसित करने की मुहिम शुरू की।

5. दुर्लभ वन्यजीवों और पक्षियों की खोज

डॉ. शर्मा के शोध कार्यों के तहत बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (BNHS) की मैगजीन में दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षियों, तितलियों, वृक्षों और वन्यजीवों पर कई महत्वपूर्ण आलेख प्रकाशित हुए हैं।

पुरस्कार समारोह की विशेषताएँ

इस वर्ष का 13वां श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति व्याख्यान एवं संरक्षण पुरस्कार समारोह विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। इस दौरान:

  • वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की गई।
  • वन्यजीव संरक्षण में नई तकनीकों के उपयोग पर विचार किया गया।
  • विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल किया जा सकता है।

डॉ. कमलेश शर्मा की प्रतिक्रिया

पुरस्कार प्राप्त करने के बाद डॉ. शर्मा ने कहा,
"यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं बल्कि उन सभी लोगों का है, जिन्होंने वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए कार्य किया है। मैं टाइगर वॉच और इस क्षेत्र के सभी लोगों का आभार प्रकट करता हूँ।" उन्होंने आगे कहा कि "वन्यजीव संरक्षण सिर्फ सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी को इसमें भागीदार बनना चाहिए। हमें अपने पर्यावरण और वन्यजीवों की रक्षा के लिए मिलकर कार्य करना होगा।"

पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता

आज के समय में, जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, अवैध शिकार और प्रदूषण जैसे मुद्दे वन्यजीवों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। ऐसे में वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देना बेहद आवश्यक है।

डॉ. कमलेश शर्मा जैसे समर्पित व्यक्तित्वों के प्रयासों से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो वन्यजीवों और पर्यावरण की रक्षा संभव है।

एक प्रेरणादायक सफर

डॉ. कमलेश शर्मा का यह सम्मान देशभर के पर्यावरण प्रेमियों और वन्यजीव संरक्षण में रुचि रखने वालों के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि अगर हम अपने परिवेश और वन्यजीवों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हो जाएं, तो एक बड़ा बदलाव संभव है।

Janta Darbar News इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर डॉ. कमलेश शर्मा को हार्दिक शुभकामनाएं देता है और आशा करता है कि उनका यह सफर भविष्य में भी पर्यावरण और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रेरणादायक बना रहेगा।