कैलाश गहलोत ने दिया इस्तीफा, भाजपा में शामिल हुए !
आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत ने अपने पद से इस्तीफा देने के मात्र 24 घंटे बाद भाजपा जॉइन कर लिया। भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली.
भाजपा में शामिल होने के बाद गहलोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "लोगों को लगता है कि मैंने यह फैसला रातों-रात लिया या किसी दबाव में लिया। मैं स्पष्ट कर दूं कि मैंने कभी दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लिया। ED और CBI के दबाव में मैंने ऐसा नहीं किया।" गहलोत ने अपनी राजनीति यात्रा पर भी बात की और कहा, "मैंने वकालत छोड़कर आम आदमी पार्टी जॉइन की थी, अन्नाजी के आंदोलन से जुड़ा था। हम एक विचारधारा के साथ जुड़े थे, और दिल्लीवासियों की सेवा का उद्देश्य लेकर राजनीति में कदम रखा था।"
गहलोत ने आगे कहा, "लेकिन अब मुझे अपनी आंखों के सामने उन मूल्यों के साथ समझौता होते हुए नजर आ रहा है, जिनके लिए मैंने इस पार्टी को जॉइन किया था। यह पीड़ा सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि हजारों कार्यकर्ताओं की है। हम आम आदमी की सेवा करने के लिए जुड़े थे, लेकिन अब वह आम आदमी विशेष बन गया है।"
कैलाश गहलोत के इस्तीफे और भाजपा में शामिल होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "वे अपना फैसला लेने के लिए पूरी तरह से आज़ाद हैं, उन्हें जहां जाना हो, जा सकते हैं।"
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने गहलोत के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। AAP के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा, "दिल्ली चुनाव से पहले मोदी वॉशिंग मशीन सक्रिय हो गई है। अब भाजपा इस मशीन के माध्यम से कई नेताओं को पार्टी में शामिल करवा सकती है।" वहीं, दिल्ली के शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, "यह भाजपा का गंदा षड्यंत्र है। भाजपा दिल्ली में विधानसभा चुनाव को ED और CBI के दबाव में जीतने की कोशिश कर रही है।"
गहलोत ने रविवार को केजरीवाल को एक पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्पष्ट किया। पत्र में गहलोत ने कहा था, "AAP ने केंद्र सरकार से लड़ाई में बहुत समय बर्बाद किया और जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं किया।"
इस घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीतिक पंक्ति को एक बार फिर गरमा दिया है। कैलाश गहलोत का भाजपा में जाना दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में इस फैसले के क्या राजनीतिक परिणाम होते हैं।