मिल गया रतन टाटा का वारिस!

मिल गया रतन टाटा का वारिस!

पद्म विभूषण रतन टाटा हमारे बीच नहीं रहे। देश के उद्योग जगत के सबसे नायाब रतन यानी रतन टाटा ने उम्र से जुड़ी बीमारी के बाद बुधवार, 9 अक्टूबर देर रात 86 वर्ष की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली। 140 करोड़ की आबादी वाले देश में कोई ऐसा नहीं था,,,, जो उनसे नफरत करता हो। इतना सम्मान शायद ही किसी बिजनेसमैन को मिला हो। अब उनके निधन के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनके बाद टाटा ग्रुप की कमान कौन संभालेगा? 
रतन टाटा का वारिस या उत्तराधिकारी कौन होगा? 
400 बिलियन डॉलर के ग्रुप को आगे लेकर कौन चलेगा? 
हालांकि इनमें रतन टाटा के सौतेले भाई, भतीजे और भतीजी के नाम भी शामिल हैं। तो आइए इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं......

टाटा ग्रुप में सक्सेशन प्लान को लेकर देश के तमाम लोगों में काफी उत्सुक्ता बनी हुई है। देश की 140 करोड़ जनता सिर्फ यही जानना चाहती है कि इतने बड़े साम्राज्य का नेतृत्व कौन करेगा? टाटा ग्रुप में सक्सेशन प्लान अच्छी तरह से स्थापित है। एन. चंद्रशेखरन 2017 से होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। परिवार के अन्य सदस्य कारोबार के अलग-अलग हिस्सों को लीड कर रहे हैं। भविष्य में ग्रुप की कमान संभालने के लिए कई उम्मीदवार हैं। तो उनके नामों को लेकर चर्चा कर लेते है कि रतन टाटा के द्वारा स्थापित कारोबार और देश को लेकर संजोये गए सपनों का उत्तराधिकारी कौन होगा और उसे किस तरह आगे तक संभालेगा....

रतन टाटा के उत्तराधिकारी की गद्दी पर बैठने का सबसे पहला नाम आता हैं 67 वर्षिय नोएल टाटा का। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा को टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारी के लिए एक प्रमुख उम्मीदवार माना जा रहा हैं। नोएल, नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे हैं। वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, सर रतन टाटा ट्रस्ट, जेएन टाटा एंडोमेंट और बाई हीराबाई जेएन टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन से जुड़े हुए हैं। वे टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास लिमिटेड, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष और टाइटन कंपनी लिमिटेड के उपाध्यक्ष भी हैं। नोएल नवल टाटा कंसाई नेरोलैक पेंट्स लिमिटेड और स्मिथ पीएलसी के बोर्ड में भी शामिल हैं।

वहीं रतन टाटा के उत्तराधिकारी की गद्दी पर बैठने का दूसरा बड़ा नाम आता हैं 34 वर्षिय माया टाटा टाटा का। नोएल टाटा की छोटी बेटी माया टाटा ने अपना करियर टाटा समूह की प्रमुख फाइनेंशियल सर्विसेस-टाटा कैपिटल में एनालिस्ट के रूप में शुरू किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, माया ने अपनी पढ़ाई यूके के बेयस बिजनेस स्कूल और वारविक विश्वविद्यालय से की है। उन्होंने कई टाटा कंपनियों में काम किया है। कयास लगाए जा रहे है कि उन्हें भी टाटा समूह का उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है।

वहीं रतन टाटा के उत्तराधिकारी की गद्दी पर बैठने का तीसरा बड़ा नाम आता हैं 32 वर्षिय नेविल टाटा का। नेविल टाटा, नोएल टाटा और अलू मिस्त्री के दूसरे बेटे हैं। उन्होंने समूह की रिटेल चैन-ट्रेंट से अपनी करियर की शुरुआत की। इस साल की शुरुआत में, उन्हें टाटा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स के बोर्ड में भी जगह मिली, जो टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट, टाटा संस और सरकार द्वारा गठित एक गैर-लाभकारी ट्रैनिंग संगठन है। इस साल तीनों लिआ, माया और नेविल को 5 ट्रस्टों का ट्रस्टी बनाया गया।

वहीं रतन टाटा के उत्तराधिकारी की गद्दी पर बैठने का चौथ बड़ा नाम आता हैं 39 वर्षिय लिआ टाटा का। नोएल टाटा की सबसे बड़ी बेटी लिआ टाटा ने स्पेन के मैड्रिड में आईई बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वह 2006 से इस समूह से जुड़ी हुई हैं, जब वह ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेस में असिस्टेंट सेल्स मैनेजर के रूप में शामिल हुईं और अब आईएचसीएल यानी इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में काम करती हैं। वह टाटा एजुकेशन ट्रस्ट, टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट और सार्वजनिक ट्रस्ट में भी काम करती हैं।


रतन टाटा सिर्फ टाटा समूह की बिजनेस स्‍ट्रेटजी का ही मार्गदर्शन नहीं करते थे, बल्कि समूह की परोपकारी पहलों से भी बेहद करीब से जुड़े थे। ऐसे में उत्तराधिकारी को लेकर यह बुनियादी सवाल है कि वह क्‍या टाटा समूह में नवाचार, उसका सामाजिक प्रभाव और अखंडता को बनाए रखने के लिए वह जिम्‍मेदारी उठाने के काबिल है या नहीं। एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2024 तक टाटा ग्रुप की तमाम कंपनियों का कंबाइंड मार्केट कैप 400 अरब डॉलर यानी करीब 35 लाख करोड़ रुपए है। मौजूदा समय में कंपनी की 29 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट है। ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसलटेंसी है। कंपनी का मार्केट कैप 9 अक्टूबर 2024 तक 15 लाख 38 हजार 519 दशमलव 36 करोड़ रुपए है। मार्केट कैप के लिहाज से टीसीएस देश की दूसरी सबसे बड़ी और देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। रतन टाटा के नेतृत्व में ही टीसीएस में सबसे ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली और इंफोसिस और विप्रो जैसी बड़ी आईटी कंपनियों को पीछे छोड़ नंबर 1 पायदान पर काबिज हो गई है।

आपने देखा कि रतन टाटा का वारिस कौन है! इस खास मौके पर हमें यह समझना होगा कि टाटा समूह की विरासत और उनके मूल्यों को आगे बढ़ाना कितना महत्वपूर्ण है। आगे बढ़ते हुए, हमें उम्मीद है कि नया नेतृत्व टाटा परिवार की परंपराओं को बनाए रखते हुए नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। इस खास कार्यक्रम में हमने उनके नए उत्तराधिकारी की यात्रा, उनके विचार और टाटा समूह के भविष्य की दिशा पर चर्चा की। रतन टाटा ने जो नींव रखी है, उसके ऊपर अब नए नेतृत्व का किला खड़ा होने जा रहा है। यह न केवल टाटा समूह के लिए, बल्कि पूरे उद्योग जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हमें उम्मीद है कि यह नई पीढ़ी अपनी सोच और दृष्टिकोण के साथ टाटा की मूल्यों को आगे बढ़ाएगी। 

पत्रकार- पवन शर्मा 

जनता दरबार न्युज़