जयगुरुदेव नाम में शक्ति, दुःख-तकलीफ़ में मददगार है-बाबा उमाकान्त महाराज
वीरों की भूमि जयपुर में चल रहे बाबा उमाकान्त जी महाराज के तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा सतसंग कार्यक्रम के अंतर्गत 21 जुलाई को महाराज जी द्वारा गुरु पूर्णिमा के दिन सतसंग सुनाते हुये भक्तों को बताया कि एक वर्णात्मक नाम होता है जैसे त्रेता में भगवान राम आये तो उन्होंने राम नाम को जगाया। राम नाम लिख कर पत्थर समुद्र में डाले गए तो वो तैरने लगे। द्वापर में कृष्ण भगवान आये तो उन्होंने कृष्ण नाम को जगाया उससे लोगों की सहायता की, त्रेता,द्वापर के बाद कलयुग आया तो उसमें सत साहब, वाहे गुरु जैसे नामों को जगाया,फिर हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव आये उन्होंने जयगुरुदेव नाम को जगाया,कब जगाया 1959 में और प्रचार करवाया की ये नाम ऊपर से आया है,इस नाम मे शक्ति, इसे बोलने से दुःख-तकलीग में मदद हो जाएगी. तो गुरु महाराज तो चले गए लेकिन अब भी इस नाम ताकत है। तो जो लोग सुबह-शाम रोज 1 घण्टा जयगुरुदेव नाम की ध्वनि (जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव) बोलते है वो बताते है कि तकलीफ-बीमारी में फायदा हो रहा है.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पधारे जन सैलाब से आह्वान करते हुए बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि ये जीवात्मा जिससे शरीर चलता है ये दोनों आंखों के बीच में बैठी हुई है। ये दो तरह से निकलती है एक जब मनुष्य की मौत होती है और दूसरी जब भक्त साधना करता है. तो उस प्रभु की याद में मन लगाए रहोगे तो लोक भी बन जायेगा और परलोक भी. प्रार्थना से वह मालिक रीझता है उससे प्रेम बढ़ता है और उस प्रभु की दया बढ़ती है. महाराज मंच से देश की जनता से आह्वान किया की सभी लोग देश प्रेम बनाये रखे,देश की संपत्ति आप की अपनी संपत्ति है,तो इसे नुकसान ना पहुचाये, आंदोलन,तोड़फोड़,हिंसा, घेराव से दूर रहे.
देश की रक्षा,देश की वस्तुओं की रक्षा, देश के बनाये नियम-कानून का पालन करें. कर्मचारियों अधिकारियों का सम्मान करें. किसी व्यक्ति,नेता,धर्म,समाज की निंदा बुराई ना करें. सबके लिए दिल में प्रेम की जगह बनाये. आगे चलकर देश-दुनिया में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा जो लोगों के दिल दिमाग में नही है. बाबा उमाकान्त जी महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाने के लिए भक्त भारत के कोने-कोने के अलावा अमेरिका,क़तर, अरब, अफ्रीका, स्पेन, ग्वाटेमाला, सिंगापुर, हांगकांग, श्रीलंका जैसे देशों से भक्तों का आगमन जयपुर में हुआ. सभी ने गुरु दर्शन, सतसंग एव प्रसाद के साथ गुरु दया का लाभ लिया.