Hyderabad के कांचा जंगल में रातोंरात पेड़ों की कटाई, मोरों की चीख ने झकझोर दिया दिल

Hyderabad के कांचा जंगल में रातोंरात पेड़ों की कटाई, मोरों की चीख ने झकझोर दिया दिल

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में विकास के नाम पर कांचा जंगल की अवैध कटाई का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है, जिसमें मोरों की चीखें सुनाई दे रही हैं। यह घटना हैदराबाद के गाछीबाउली क्षेत्र के पास की बताई जा रही है, जहां बीती रात सैकड़ों एकड़ में फैले जंगल को उजाड़ने के लिए बुलडोजर और कटाई मशीनों का इस्तेमाल किया गया।

मोरों की चीखों ने किया विचलित

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जंगल में भारी मशीनों से पेड़ों को काटा जा रहा है और इस दौरान वहां रहने वाले मोर व अन्य पक्षी बेतहाशा चीख रहे हैं। उनकी आवाजें बिल्कुल इंसानों की रोने जैसी लग रही हैं, जिसने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि यह जंगल 400 एकड़ में फैला हुआ है और इसे हैदराबाद का फेफड़ा माना जाता है, क्योंकि यह 455 से अधिक प्रजातियों का घर है।

छात्रों और स्थानीय लोगों का विरोध

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों और स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस जंगल की कटाई का विरोध किया। उनका कहना है कि जंगल काटने की योजना पहले से बनाई गई थी, लेकिन इसे उस वक्त अंजाम दिया गया जब विश्वविद्यालय के छात्र छुट्टियों में घर चले गए थे। उन्होंने मांग की है कि इस क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जाए ताकि इसे बचाया जा सके।

तेलंगाना हाईकोर्ट ने लगाई अस्थायी रोक

पर्यावरण संगठनों और छात्रों के विरोध के बाद तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और कांचा गाछीबाउली क्षेत्र में 400 एकड़ से अधिक भूमि पर किसी भी प्रकार के विकास कार्य पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

डिंपल यादव ने भी किया वीडियो शेयर

समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता और सांसद डिंपल यादव ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उन्होंने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा,
"पर्यावरण से खिलवाड़ बंद हो! तेलंगाना में प्रदेश सरकार द्वारा 400 एकड़ जंगल को साफ करने का प्रयास, हजारों पेड़ों की कटाई सरासर पर्यावरण और वन्यजीवों के खिलाफ है। कांचा गाछीबाउली वन (KGF) को साफ करने से गंभीर परिणाम संभव हैं, जिससे स्थानीय तापमान में वृद्धि भी होगी। तत्काल कटाई की कार्रवाई को रोके सरकार।"

सरकार की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे मामले में तेलंगाना सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह भूमि पुनर्विकास के लिए इस्तेमाल की जा रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ेगा बल्कि शहर में वायु गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।