Wakf कानून पर बवाल, 500 लोग पलायन को मजबूर

वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा अब विकराल रूप ले चुकी है। शनिवार को राज्य के चार जिलों—मुर्शिदाबाद, नॉर्थ 24 परगना, हुगली और मालदा—में भारी हिंसा देखी गई।
सड़कों पर गाड़ियां जलाई गईं, दुकानों और घरों में लूटपाट और तोड़फोड़ हुई। अब तक इस हिंसा में 3 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 15 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 150 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।
केंद्र सरकार ने भेजे 1600 जवान, इंटरनेट सेवा बंद
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने हिंसाग्रस्त इलाकों में 1600 जवानों को तैनात किया है, जिनमें 300 BSF के जवान भी शामिल हैं। कुल 21 कंपनियां स्थिति को नियंत्रित करने में लगी हैं। साथ ही इन जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है और BNS की धारा 163 लागू कर दी गई है।
धुलियान में भयावह हालात, 500 लोग हुए बेघर
इस हिंसा का सबसे भयावह चेहरा मुर्शिदाबाद के धुलियान से सामने आया है। यहां तकरीबन 500 लोग अपने घरों से पलायन कर गंगा पार कर मालदा के वैष्णवनगर में एक स्कूल में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।
पीड़ितों का आरोप है कि उनके घरों में आगजनी और लूटपाट की गई। इतना ही नहीं, उनके पीने के पानी में जहर मिलाए जाने की भी बात सामने आई है। ये लोग किसी तरह BSF की मदद से सुरक्षित बाहर निकाले गए।
दिल्ली में भी गरमाई सियासत, ओवैसी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद का बयान
वहीं, दिल्ली में इस कानून को लेकर सियासी उबाल जारी है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति ने वक्फ कानून पर आपात बैठक बुलाई। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह कानून असंवैधानिक है और भाजपा वक्फ बोर्ड पर कब्जा करना चाहती है।
क्या वक्फ कानून देश को नई आग की ओर ले जा रहा है?
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या राज्य प्रशासन इस हिंसा के लिए तैयार था? क्या केंद्र सरकार का कानून इतना संवेदनशील था कि इसकी प्रतिक्रिया इतनी उग्र होगी? और क्या आम जनता इसी तरह राजनीति की आड़ में पिसती रहेगी?