महर्षि अरविंद स्कूल : सपनों की रेस, जीत का जुनून! AURA… The Race to Glory !

महर्षि अरविंद स्कूल : सपनों की रेस, जीत का जुनून! AURA… The Race to Glory !

खेल दिवस: बच्चों के सपनों को पंख देने वाला मंच

जयपुर, खेल जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि मानसिक दृढ़ता और टीमवर्क की भावना को भी बढ़ावा देता है। जयपुर के मानसरोवर स्थित महर्षि अरविंद स्कूल में आयोजित वार्षिक खेल दिवस “ऑरा: द रेस टू ग्लोरी” ने इस सोच को बखूबी चरितार्थ किया। इस आयोजन ने न केवल बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया, बल्कि उन्हें सिखाया कि खेल केवल जीतने का माध्यम नहीं, बल्कि सीखने का एक सफर है।

26 जनवरी को आयोजित इस भव्य खेल दिवस का मुख्य उद्देश्य छात्रों में अनुशासन, टीमवर्क और खेल भावना का विकास करना था। दिन की शुरुआत जोश और उत्साह से भरी हुई परेड से हुई, जहाँ छात्रों ने अपने हौसले और जज्बे का प्रदर्शन किया। बच्चों की ऊर्जा और उनके चेहरे पर चमक यह साबित कर रही थी कि यह दिन उनके लिए केवल एक प्रतियोगिता का नहीं, बल्कि अपने सपनों की उड़ान भरने का दिन था।

खेल के मैदान में बच्चों का जोश और जुनून

खेल दिवस पर मैदान में अलग ही रौनक थी। कहीं दौड़ की तैयारी करते बच्चे थे, तो कहीं मानसिक और तार्किक जैसे खेलों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए खिलाड़ी। हर कदम पर एक नया उत्साह, हर चुनौती को स्वीकारने का एक नया जज्बा और हर हार को सीखने के एक नए अवसर के रूप में अपनाने की भावना दिखाई दी। बच्चों ने साबित किया कि असली जीत हारने के बाद भी आगे बढ़ने में है।

जब मैदान में बच्चे दौड़ रहे थे, तो उनके चेहरे पर जुनून और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। हर बच्चा अपने सपने को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा था। चाहे वह 100 मीटर दौड़ हो या रिले रेस, हर प्रतियोगिता में बच्चों ने पूरी मेहनत और लगन से हिस्सा लिया।

अधिकारियों और शिक्षकों का संदेश

कार्यक्रम के दौरान प्रधानाचार्य शालिनी शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि खेल केवल शारीरिक गतिविधियों का माध्यम नहीं है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि “आज का दिन यह साबित करता है कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना सच किया जा सकता है। खेल बच्चों को अनुशासन और टीमवर्क सिखाता है, जो उनके पूरे जीवन में काम आता है।”

महर्षि अरविंद ग्रुप ऑफ स्कूल के चेयरपर्सन डॉ. संजय पाराशर ने भी छात्रों को खेलों के महत्व के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि “खेल जीवन का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें हर चुनौती का सामना करने की ताकत देता है। यह हमें सिखाता है कि हार और जीत जीवन के दो पहलू हैं, लेकिन असली विजेता वही होता है जो कभी हार न माने।”

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की छटा

खेलों के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया। बच्चों ने लोक नृत्य, ड्रम परफॉर्मेंस और योगा जैसी प्रस्तुतियों से यह साबित किया कि वे न केवल खेल में, बल्कि कला और संस्कृति में भी पारंगत हैं। हर प्रस्तुति में बच्चों की मेहनत और समर्पण की झलक दिखाई दी। यह पल केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि दर्शकों के लिए भी प्रेरणादायक था।

खेलों का महत्व और बच्चों का भविष्य

आज के दौर में जब बच्चे डिजिटल दुनिया में अधिक समय बिता रहे हैं, खेल उन्हें उस दुनिया से बाहर निकालकर एक नई दिशा देने का काम करता है। खेल न केवल बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखता है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। यह उनके भीतर आत्मविश्वास, टीमवर्क और अनुशासन जैसे गुणों का विकास करता है, जो उनके पूरे जीवन में काम आते हैं।

महर्षि अरविंद स्कूल का यह खेल दिवस केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि खेलों को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। यह बच्चों को न केवल अपने सपने देखने की प्रेरणा देता है, बल्कि उन्हें साकार करने की दिशा में काम करने का साहस भी प्रदान करता है।

खेल दिवस से मिले जीवन के सबक

खेल दिवस ने बच्चों को कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए। पहला, मेहनत और लगन से कोई भी सपना साकार हो सकता है। दूसरा, हार केवल एक नई शुरुआत का मौका है। तीसरा, असली जीत अकेले नहीं, बल्कि टीम के साथ मिलकर काम करने से मिलती है। और सबसे महत्वपूर्ण, खेल हमें यह सिखाता है कि जीवन में हर चुनौती को एक अवसर के रूप में कैसे देखा जाए।

संदेश :

यह खेल दिवस केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी प्रेरणादायक था। बच्चों ने अपने खेल कौशल और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से यह साबित किया कि वे कल के चैंपियन हैं। महर्षि अरविंद स्कूल ने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि शिक्षा और खेल का मेल बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए जरूरी है।

आइए, हम सब मिलकर इस सोच को आगे बढ़ाएँ। खेलों को बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बनाएँ और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। आखिरकार, खेलों से सीखे गए अनुशासन और टीमवर्क का सबक जीवन के हर क्षेत्र में काम आता है। हर बच्चे के सपनों को पंख दें और उन्हें उड़ने का अवसर दें, क्योंकि हर बच्चा खास है, और हर सपना अनमोल।

आप इस खेल दिवस के बारे में क्या सोचते हैं? अपने विचार हमारे साथ साझा करें। याद रखें, हर बच्चे को अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलना चाहिए। खेलों को उनके जीवन का हिस्सा बनाकर हम उन्हें न केवल एक अच्छा खिलाड़ी, बल्कि एक बेहतर इंसान भी बना सकते हैं।

पवन कुमार शर्मा,
वरिष्ठ पत्रकार।