भरतपुर में कच्ची खाई क्षेत्र का नाला विवाद: जयपुर पहुंचा संघर्ष समिति का डेलिगेशन!
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भरतपुर का कच्ची खाई क्षेत्र इन दिनों विकास कार्यों को लेकर विवादों के केंद्र में है। शहर के अनाह गेट से लेकर नीमदा गेट और काली की बगीची चौराहे तक बनाए जा रहे खुले नाले का स्थानीय निवासियों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। इस विवाद को लेकर आज भरतपुर से न्याय दो संघर्ष समिति का एक डेलिगेशन जयपुर पहुंचा।
संघर्ष समिति ने नगर निगम प्रशासन से खुले नाले की जगह कवर्ड नाले के निर्माण की मांग की। इस दौरान समिति ने कच्चे परकोटे की आबादी के लंबित पट्टों को भी जल्द जारी करने की मांग की। डेलिगेशन ने स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो क्षेत्र में आंदोलन छेड़ा जाएगा।
स्थानीय निवासियों की प्रमुख समस्याएं और आरोप
न्याय दो संघर्ष समिति से जुड़े इंद्रजीत भार्गव ने बताया कि नाला निर्माण में ठेकेदार कंपनी द्वारा गड़बड़ी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी न तो डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के अनुसार काम कर रही है, न ही पर्यावरणीय मानकों का पालन हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि खुले नाले का निर्माण क्षेत्र के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। उनका मानना है कि खुला नाला गंदगी और बीमारियों का कारण बन सकता है, जिससे स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित होगा।
कवर्ड नाले की मांग: क्या हैं फायदे?
स्थानीय लोगों की मांग है कि खुला नाला बनाने के बजाय कवर्ड नाला बनाया जाए। इसके पीछे कई कारण हैं:
- स्वच्छता और स्वास्थ्य: कवर्ड नाले से गंदगी और बदबू नहीं फैलेगी।
- सुरक्षा: खुले नाले से दुर्घटनाओं की संभावना रहती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
- सौंदर्यीकरण: कवर्ड नाले से क्षेत्र का सौंदर्यीकरण होगा और सड़कें अधिक व्यवस्थित दिखेंगी।
कच्चे परकोटे की आबादी के पट्टे जारी करने की मांग
डेलिगेशन ने कच्चे परकोटे की आबादी में रहने वाले लोगों के लंबित पट्टों को जारी करने का मुद्दा भी उठाया। इन क्षेत्रों के निवासियों का कहना है कि वर्षों से वे यहां रह रहे हैं, लेकिन अब तक उनके पट्टे जारी नहीं किए गए हैं। इससे उनकी जमीन पर मालिकाना हक और विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति
डेलिगेशन ने जयपुर में डीएलबी (डायरेक्टर ऑफ लोकल बॉडीज) के अधिकारियों से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा और जल्द से जल्द उचित कदम उठाए जाएंगे।
हालांकि, संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता है, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
स्थानीय लोगों की राय
कच्ची खाई क्षेत्र के निवासी खुला नाला निर्माण को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को उनकी राय को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए। "हम यहां कई वर्षों से रह रहे हैं। यह खुला नाला न केवल हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि गंदगी और दुर्गंध भी बढ़ाएगा। प्रशासन को हमारी बात सुननी चाहिए," - क्षेत्र की एक निवासी ने कहा।
नाले निर्माण में डीपीआर का पालन न होने का मुद्दा
संघर्ष समिति ने ठेकेदार कंपनी पर डीपीआर के अनुसार काम न करने का भी आरोप लगाया है। इंद्रजीत भार्गव ने कहा, "डीपीआर में जो मापदंड तय किए गए हैं, उनका पालन नहीं किया जा रहा। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो हम इसे अदालत में भी चुनौती देंगे।"
संघर्ष समिति का आंदोलन: क्या होगा आगे?
अगर प्रशासन ने जल्द ही मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो संघर्ष समिति बड़े स्तर पर आंदोलन करने की योजना बना रही है। इंद्रजीत भार्गव ने बताया कि इस आंदोलन में स्थानीय निवासियों को भी शामिल किया जाएगा।
भरतपुर का कच्ची खाई क्षेत्र विकास कार्यों और प्रशासनिक अनदेखी के चलते विवादों में है। जहां एक ओर स्थानीय निवासी कवर्ड नाले की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के रुख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे होता है और प्रशासन इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेता है।
पवन कुमार शर्मा,
वरिष्ठ पत्रकार।