सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में आरक्षण और कोटे के अंदर कोटा पर 7 जजों ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) आरक्षण के तहत कोटे के अंदर कोटा बनाने के ऐतिहासिक फैसले में कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए। इस फैसले ने राज्य सरकारों को आरक्षण में उप-वर्गीकरण का अधिकार दिया है, जिससे अत्यधिक पिछड़े समुदायों को अलग कोटा मिल सकेगा। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, और 16 के तहत सही ठहराया गया है और राज्य सरकारों को उप-वर्गीकरण करने के लिए पर्याप्त डेटा और शोध का आधार रखना अनिवार्य किया गया है। जस्टिसों ने आरक्षण की अवधि, क्रीमीलेयर की आवश्यकता और उप-वर्गीकरण की जरूरत पर भी विचार-विमर्श किया।
सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा बनाने की अनुमति दी. राज्य सरकारों को अत्यधिक पिछड़े समुदायों के लिए अलग कोटा निर्धारित करने का अधिकार दिया गया. संविधान के अनुच्छेद 14, 15, और 16 के तहत उप-वर्गीकरण को सही ठहराया गया. उप-वर्गीकरण के लिए राज्य सरकारों को पर्याप्त डेटा और शोध का आधार रखना अनिवार्य होगा. जस्टिस पंकज मित्तल ने आरक्षण को एक पीढ़ी तक सीमित रखने की सलाह दी. जस्टिस बीआर गवई ने सरकार को अत्यधिक पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देने की जिम्मेदारी सौंपी. जस्टिस विक्रमनाथ ने SC/ST में क्रीमीलेयर लागू करने की सिफारिश की. वर्तमान नियम के अनुसार, 8 लाख रुपए से अधिक आय वाले परिवार क्रीमीलेयर में आते हैं. जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने SC/ST में अत्यधिक पिछड़े समुदायों का उप-वर्गीकरण आवश्यक बताया. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने उप-वर्गीकरण के संदर्भ पर असहमति जताई और इसे गलत बताया।