मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिखाया ज़मीनी जुड़ाव, गांव की लस्सी और कचौरी से जीता दिल

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिखाया ज़मीनी जुड़ाव, गांव की लस्सी और कचौरी से जीता दिल

राजनीति में सादगी और आत्मीयता जब सामने आती है, तो वह जनता के दिलों को छू जाती है। कुछ ऐसा ही दृश्य नीमच के एक छोटे से गांव में देखने को मिला, जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने काफिले को अचानक रुकवाया और गांव की एक साधारण सी दुकान पर लस्सी और कचौरी का स्वाद लेने पहुंच गए।

लस्सी, कचौरी और अपनापन

बिना किसी औपचारिक मंच या घोषणा के, मुख्यमंत्री सीधे दुकानदार रमेश सेनी की दुकान पर पहुंचे। उन्होंने वहीं बैठकर लस्सी पी और गरमागरम कचौरी का स्वाद चखा। जब उन्होंने 500 रुपये का नोट रमेश को देना चाहा, तो दुकानदार ने लेने से इंकार कर दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने मुस्कुराते हुए जबरन नोट उसके हाथ में रख दिया और बोले –

लस्सी के पैसे तो लेने ही पड़ेंगे…

इस पूरे पल में आत्मीयता, सम्मान और एक अनोखा जुड़ाव था — जो केवल एक खरीददारी नहीं, बल्कि रिश्तों की मिठास बन गया।

जनता के बीच नेता, मंच से नहीं – दिल से

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा,

गांव की लस्सी और कचौरी का स्वाद शहरों में कहां…

उनके इस व्यवहार से आसपास खड़े ग्रामीणों की आंखें खुशी से भर आईं। यह एक ऐसा दृश्य था, जहां एक मुख्यमंत्री आमजन के साथ एक समान खड़ा नजर आया।

इस आत्मीय क्षण के गवाह बने विधायक दिलीप सिंह परिहार, ओमप्रकाश सकलेचा और ज़िला पंचायत अध्यक्ष ममता मेवाड़ा। सभी ने वहां की स्वादिष्ट लस्सी का आनंद लिया और ग्रामीणों से संवाद भी किया।

नीमच यात्रा बनी यादगार

मुख्यमंत्री की दो दिवसीय नीमच यात्रा सिर्फ योजनाओं की समीक्षा और उद्घाटन कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने जनता से रिश्तों की मिठास भी छोड़ी — एक ऐसा जुड़ाव जो प्रशासनिक योजनाओं से कहीं अधिक असर छोड़ता है।