राजनीति में राजपूत समाज के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां
राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप सिंह कालवी ने हरिश चौधरी के "ठाकुर के कुएं" वाले बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कालवी ने कहा कि यह चलन बन गया है कि जब तक कोई नेता राजपूत समाज को गाली नहीं देगा, तब तक वह विधानसभा या लोकसभा नहीं पहुंच सकता। उन्होंने कहा कि नागौर, बाड़मेर और जयपुर के जाट नेता राजपूतों को अपमानित करके अपनी बढ़ती हैसियत साबित करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, यह भी सच है कि ये नेता शाम को साथ बैठते हैं और मिल-जुलकर खाते-पीते हैं, लेकिन राजनीतिक मंच से एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते हैं।
आनंदपाल प्रकरण पर कालवी ने कहा कि जब आनंदपाल को धोखे से मारा गया, तो समाज के लाखों लोग इकट्ठे हुए और विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आनंदपाल को सरेंडर की स्थिति में मारा गया था। इसके बावजूद उनके समर्थकों पर फर्जी केस लगाए गए और उन्हें परेशान किया गया। कालवी ने न्यायपालिका और पत्रकारों का धन्यवाद किया, जिन्होंने इस मामले को उठाया और समाज को न्याय दिलाने में मदद की।
कालवी ने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के मामले पर भी टिप्पणी की और कहा कि यह मामला भी आनंदपाल प्रकरण से मिलता-जुलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन और सरकार ने आनंदपाल को जेल में मारने की साजिश रची थी, जिससे बचने के लिए आनंदपाल को जेल से भागना पड़ा.
प्रताप सिंह कालवी ने करणी सेना के अलग-अलग गुटों के कारण समाज के युवाओं में उत्पन्न भ्रम की बात की। उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह कालवी और लोकेंद्र सिंह कालवी ने समाज कल्याण और सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था। लेकिन आजकल करणी सेना का नाम दुकानदारी और चंदा वसूली का माध्यम बन गया है। कालवी ने कहा कि वे समाज कल्याण की मूल विचारधारा को धरातल पर उतारने की कोशिश करेंगे और युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन देंगे
प्रताप सिंह कालवी के बयान से यह स्पष्ट होता है कि राजपूत समाज के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां राजनीति में एक चलन बन गई हैं। आनंदपाल प्रकरण में न्याय की मांग और करणी सेना की मूल विचारधारा को पुनः स्थापित करने की दिशा में उनके प्रयास महत्वपूर्ण हैं। राजपूत समाज और युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए कालवी और उनकी टीम तत्पर हैं.