बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट बोला-अफसर जज नहीं बन सकते

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट बोला-अफसर जज नहीं बन सकते

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन को लेकर अहम टिप्पणी की और पूरे देश के लिए 15 गाइडलाइनों का ऐलान किया. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया कि अगर किसी का घर गिराने का फैसला लिया जाता है, तो यह साबित करना होगा कि वह आखिरी रास्ता था और कोई दूसरा उपाय नहीं बचा था. कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारी खुद जज नहीं बन सकते और उन्हें अपनी कार्रवाई के बारे में उचित कारण बताने होंगे.

कोर्ट ने कहा कि "घर सबका सपना होता है, यह बरसों का संघर्ष है और सम्मान की निशानी है।" अगर किसी का घर गिराया जाता है, तो संबंधित अधिकारी को यह साबित करना होगा कि यह कदम उठाना जरूरी था. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि घर गिराने की कार्रवाई की जाती है तो संबंधित व्यक्ति को कम से कम 15 दिन का समय दिया जाए और कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी जरूरी होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि यदि किसी अधिकारी द्वारा इन गाइडलाइनों का उल्लंघन किया जाता है, तो वह अधिकारी अपनी लागत पर फिर से प्रॉपर्टी का निर्माण कराएगा और पीड़ित को मुआवजा भी देगा. बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि BJP शासित राज्यों में विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और उनके अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। इस याचिका में दावा किया गया कि यह कार्रवाई एकतरफा और असंवैधानिक है.

वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपनी दलील दी कि इस तरह की कार्रवाई केवल कानून के तहत की जा रही है और किसी भी व्यक्ति का घर इसलिए नहीं गिराया गया क्योंकि उसने अपराध किया है. केंद्र ने कहा कि ये कार्रवाई अवैध अतिक्रमण के खिलाफ की जा रही है, और कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.  सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइनों के बाद अब प्रशासन को किसी भी अवैध निर्माण को गिराने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके खिलाफ सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है. इसके अलावा, इस तरह की कार्रवाई से प्रभावित व्यक्ति को उचित समय और कारणों के बारे में जानकारी दी जाएगी. यह फैसला प्रशासन के लिए एक बड़ा संदेश है कि किसी भी प्रकार की बुलडोजर कार्रवाई से पहले नियमों और गाइडलाइनों का सख्ती से पालन किया जाए. साथ ही, यह फैसला उन लोगों के लिए राहत की बात है जिनका घर किसी अवैध कार्रवाई का शिकार बन सकता था.