संबल में बिखरी हिंसा की धुंआधार लहर ... कौन था जिम्मेदार .. जानिए ?
संभल में बिखरी हिंसा की धुंआधार लहर...मन में सवाल, दिल में डर...कौन है जिम्मेदार, कौन है दोषी शांति की तलाश में, सब भूले अपनी राह....राजनीति की छांव में क्या हुई यह गलती.... जिसका शौर हर एक इंसान के कानों में गुंज रहा है.. आज आप समझ ही गए होगें इन लाइनों को सुनकर की हम किस बारे में बात करने जा रहे है.. तो चलिए आज हम बात करते है संभल जिले के हालात के बारे में.
संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया है.... क्या है इस हिंसा की असल वजह? कौन हैं इसके जिम्मेदार और किसने भड़काई ये घटनाएँ? आइये जानते हैं इस रिपोर्ट के जरिए, जो आपको हर उस पहलू से अवगत कराएगी, जिसपर इस वक्त राज्य और प्रशासन की नजरें हैं...
संभल जिले में हुए इस हिंसक घटना के बाद से ही इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है....जानकारी के मुताबिक, सोमवार को इस इलाके में अचानक हिंसा भड़क उठी, जब कुछ असामाजिक तत्वों ने स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की... इस हिंसा के दौरान कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई और दुकानों को भी नुकसान पहुँचाया गया...
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस हिंसा की शुरुआत कुछ धार्मिक विवादों से हुई... आरोप है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने धार्मिक भावनाओं को भड़काया और समुदायों के बीच आपसी नफरत को हवा दी। इसे लेकर पुलिस और प्रशासन ने भी अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
बता दें कि स्थानीय कोर्ट के आदेश पर संभल की शाही जामा मस्जिद का 24 नवंबर को सर्वे हो रहा था, इसी दौरान उग्र भीड़ ने पथराव और आगजनी कर दी थी. भीड़ में शामिल नकाबपोश उपद्रवी तत्वों ने पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया था. इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी और 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे. हिंसा के बाद चार दिनों तक बाजार बंद रहे और इलाके में तनाव का माहौल बना रहा. संभल प्रशासन ने जिले में हालात सामान्य करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है. पुलिस उपद्रवियों की पहचान में जुटी है. अभी तक 300 से अधिक उपद्रवियों के पोस्टर जारी किए जा चुके हैं.
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने ज़िलाधिकारी के पत्र जारी करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है और पुलिस तंत्र का खुला दुरुपयोग है. दरअसल, हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके दावा किया था कि संभल की शाही जामा मस्जिद, श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का दावा है कि बाबर ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है. हिंदू पक्ष की इन दलीलों पर संभल की अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, जिसके बाद से ही यहां बवाल मचा हुआ है.
इसी बीच, अब एक बड़ा सवाल जो सबके मन में है, वह ये है कि आखिर इस हिंसा को भड़काने वाला कौन था? स्थानीय नेताओं, पुलिस अधिकारियों और समुदायों के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद यह सामने आया कि कुछ राजनीतिक और सामाजिक दबावों ने इस हिंसा को बढ़ावा दिया.... कुछ लोगों का कहना है की "हमारे इलाके में शांति और भाईचारे की मिसाल रही है, लेकिन कुछ लोग इस स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं। हमें यह देखना होगा कि किसने इस आग को हवा दी। हम इस मामले की जांच की मांग करते हैं।"
अब पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जिला प्रशासन ने पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया है और सुरक्षा बलों को तैनात किया है। साथ ही, आरोपियों को पकड़ने के लिए कई छापे मारे गए हैं।
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार की अफवाहों से दूर रहे..वहीं पुलिस का भी कहना है की पहले ही इलाके में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है... हमारी पूरी कोशिश है कि हम स्थिति को जल्द से जल्द नियंत्रित कर सकें और जिन लोगों ने इस हिंसा को बढ़ावा दिया, उन्हें पकड़कर सजा दिलवाएं।"
वहीं इसी बीच लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और उत्तर प्रदेश के अन्य कांग्रेस सांसद बुधवार (4 दिसंबर) को हिंसा प्रभावित संभल का दौरा करने वाले थे . बुधवार को संभल के लिए निकले थे लेकिन उन्हें यूपी बॉर्डर पर ही रोक दिया गया और उनका काफिला आगे नहीं बढ़ सका. अब राहुल और प्रियंका के काफिले को वापस दिल्ली भेज दिया गया. इसके बाद, सभी कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता दिल्ली की तरफ लौट गए. संभल जाने के लिए राहुल और प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, केएल शर्मा, उज्जल रमन सिंह, तनुज पूनिया और इमरान मसूद साथ निकले थे. राहुल और प्रियंका, पिछले दिनों हुई हिंसा में मारे गए लोगों से मुलाकात करने के इरादे से जाना चाहते थे. हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने संभल में 10 दिसंबर तक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर बैन है. कांग्रेस नेताओं के रवाना होने से पहले ही, दिल्ली के बॉर्डर पर पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद थी और बैरिकेडिंग की गई.
संबल की इस घटना ने प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर उस वक्त जब लोग शांति से रहना चाहते हैं। अब सवाल ये है कि क्या यह हिंसा कुछ लोगों की ओर से एक सोची-समझी साजिश थी, या फिर यह एक दुर्घटना का परिणाम था? यह सब केवल कुछ लोगों की वजह से हुआ। उम्मीद है कि प्रशासन जल्दी से इस मामले को सुलझाएगा।" अब देखना ये होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले की जांच कितनी जल्दी पूरी करता है और क्या दोषियों को सजा मिलती है। फिलहाल, जिले में स्थिति तनावपूर्ण जरूर है, लेकिन पुलिस और प्रशासन पूरी कोशिश कर रहे हैं कि शांति व्यवस्था बहाल हो....तो यह थी पूरी कहानी सम्बल हिंसा के बारे में, जहां हर किसी की नजर अब प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी है।