सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेकिंग यूनिट पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेकिंग यूनिट पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट पर रोक लगा दी है. हाल ही में बदले गए आईटी नियमों के तहत, केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर अपने काम से जुड़े कंटेंट को देखने के लिए ये फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे लेकर पहले से ही बॉम्बे हाई कोर्ट में मामला लंबित है. फैक्ट चेकिंग यूनिट पर यह रोक तब तक रहेगी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट 2023 के आईटी नियमों में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला नहीं ले लेता. केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने बुधवार को सूचना और प्रसारण ब्यूरो के तहत एक फैक्ट चेकिंग यूनिट को अधिसूचित किया था. इस यूनिट की मदद से केंद्र सरकार की कोशिश फर्जी खबरों पर लगाम लगाना था. इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि ये मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है

हालांकि, अदालत ने ये भी कहा कि वो मामले के मुख्य मुद्दों पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेगी. गौरतलब है कि स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार को फैक्ट चेकिंग यूनिट की अधिसूचना रोकने का आदेश देने की मांग की थी. पिछले साल अप्रैल 2023 में लागू हुए बदले हुए आईटी नियमों के तहत, फैक्ट चेकिंग यूनिट को सोशल मीडिया पर कंटेंट को देखने और केंद्र सरकार के काम से जुड़ी झूठी खबरों को चिह्नित करने का अधिकार मिलता है. इससे पहले, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले पर दो अलग-अलग फैसले सुनाए थे. एक जज ने इस यूनिट को रोकने का आदेश दिया था, जबकि दूसरे जज ने इसे बनाए रखने का समर्थन किया था. इन दोनों फैसलों के बाद, मामले को तीसरे जज जस्टिस ए.एस. चंदुरकर के पास भेजा गया. जस्टिस चंदुरकर ने अभी तक अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है. हालांकि, उन्होंने 11 मार्च को फैक्ट चेकिंग यूनिट को शुरू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद, 13 मार्च को जजों के एक दूसरे से सहमत न होने के बावजूद 2:1 बहुमत के साथ फैसला सुनाया गया कि फिलहाल यूनिट को रोका नहीं जाएगा.