JDA की आवास योजना में 9 साल की देरी, आवंटियों को अब तक नहीं मिला फ्लैट का कब्जा!

JDA की आवास योजना में 9 साल की देरी, आवंटियों को अब तक नहीं मिला फ्लैट का कब्जा
जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) द्वारा 27 जुलाई 2016 को लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से गोवर्धन विहार, नाहरिया का वास, तहसील चाकसू (जोन-14) में LIG फ्लैट आवंटित किए गए थे। लेकिन नौ साल बीत जाने के बावजूद भी आवंटियों को इन फ्लैटों का कब्जा नहीं मिला है। लंबे इंतजार और कई प्रयासों के बावजूद आवंटी आज भी अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इस देरी से न केवल वे मानसिक तनाव झेल रहे हैं, बल्कि आर्थिक परेशानियों का भी सामना कर रहे हैं।
9 साल बीत गए, लेकिन अब तक इंतजार जारी
आवंटियों के अनुसार, JDA ने 2016 में इन फ्लैटों को लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित किया था। जिन लोगों के नाम लॉटरी में आए, उन्होंने नियमानुसार निर्धारित पूरी राशि समय पर जमा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अब तक उनके घरों का कब्जा नहीं मिल सका।
इस मुद्दे को लेकर आवंटी कई बार JDA अधिकारियों से मिल चुके हैं। हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया। कभी कहा जाता है कि निर्माण कार्य में देरी हो रही है, तो कभी कागजी प्रक्रिया का हवाला देकर मामले को टाल दिया जाता है।
एक आवंटी ने बताया, "हर बार जब हम JDA ऑफिस जाते हैं, तो हमें कहा जाता है कि प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही कब्जा मिलेगा। लेकिन 9 साल बीत चुके हैं और आज तक हमें कुछ नहीं मिला।"
ब्याज पर लिया कर्ज बना भारी बोझ
फ्लैट पाने की उम्मीद में कई आवंटियों ने बैंक से लोन लिया या निजी स्तर पर ब्याज पर उधार लेकर पूरी राशि जमा करवाई थी। अब बिना फ्लैट मिले ही वे कर्ज और ब्याज चुकाने को मजबूर हैं।
कुछ लोगों ने यह सोचकर लोन लिया था कि जल्द ही फ्लैट मिल जाएगा और वे किराए के मकान से मुक्त हो जाएंगे। लेकिन सालों की देरी के कारण वे किराए और लोन की ईएमआई दोनों चुकाने को मजबूर हो गए हैं।
एक आवंटी ने बताया, "हमने सोचा था कि दो-तीन साल में फ्लैट मिल जाएगा और हम अपने घर में रहेंगे। लेकिन 9 साल हो गए, ना फ्लैट मिला और ना ही कोई ठोस जवाब। इस दौरान हमने लाखों रुपये सिर्फ ब्याज में दे दिए हैं।"
उपभोक्ता कोर्ट का फैसला भी बेअसर
इस मामले में कुछ आवंटी उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) तक भी गए। अदालत ने एक आवंटी के पक्ष में फैसला दिया, जिसमें JDA को जल्द से जल्द कब्जा देने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन JDA ने इस फैसले पर कोई अमल नहीं किया।
आवंटियों का कहना है कि अगर उपभोक्ता अदालत का आदेश भी बेअसर साबित हो रहा है, तो फिर न्याय की उम्मीद कहां से की जाए?
एक अन्य आवंटी ने बताया, "अगर JDA उपभोक्ता अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रहा है, तो फिर आम आदमी कहां जाए? हमें अब अदालत के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा।"
JDA की चुप्पी पर सवाल
आवंटियों का कहना है कि JDA अधिकारियों से जब भी संपर्क किया जाता है, तो वे केवल फाइलें आगे बढ़ाने की बात करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि फाइलें आखिर कब तक आगे बढ़ेंगी?
एक आवंटी ने कहा, "हर बार हमसे कहा जाता है कि काम चल रहा है, प्रक्रिया पूरी होने वाली है। लेकिन यह प्रक्रिया कब पूरी होगी, इसका कोई निश्चित जवाब नहीं दिया जाता। 9 साल हो चुके हैं, क्या JDA को यह जवाब देने में भी इतना ही समय चाहिए?"
JDA की इस चुप्पी पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। कई आवंटी अब RTI (सूचना का अधिकार) के तहत भी आवेदन करने की सोच रहे हैं, ताकि उन्हें सही जानकारी मिल सके।
परिवारों पर मानसिक तनाव
यह मामला केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है। यह आवंटियों और उनके परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी भारी असर डाल रहा है।
कई परिवारों ने उम्मीद से इन फ्लैटों के लिए पैसे लगाए थे, लेकिन अब वे असमंजस में हैं। एक आवंटी ने बताया, "हमने शादी के बाद इसी उम्मीद में यह फ्लैट लिया था कि हमें अपना घर मिलेगा। लेकिन अब परिवार बढ़ गया है और हम अभी भी किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं।"
कुछ लोगों ने यह भी बताया कि वे रिटायरमेंट के बाद अपने घर में रहने का सपना देख रहे थे, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि शायद यह सपना कभी पूरा ही नहीं होगा।
जल्द समाधान की मांग
आवंटियों ने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द उनके फ्लैट का कब्जा दिलाया जाए ताकि वे अपने घर में रह सकें। उन्होंने कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे आगे कानूनी कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
आवंटियों का कहना है कि वे JDA से कोई विशेष सुविधा नहीं मांग रहे हैं, बल्कि सिर्फ वही मांग रहे हैं जिसका भुगतान वे वर्षों पहले कर चुके हैं।
अगर जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आवंटी उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने पर विचार कर सकते हैं।
JDA की देरी से प्रभावित हो रहे अन्य प्रोजेक्ट्स
यह पहली बार नहीं है जब JDA की किसी योजना में देरी हुई हो। इससे पहले भी कई योजनाओं में आवंटियों को लंबे इंतजार के बाद ही कब्जा मिला है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर JDA इसी तरह देरी करता रहा, तो भविष्य में लोग उसकी आवासीय योजनाओं पर भरोसा करना बंद कर सकते हैं।
इससे न केवल JDA की छवि खराब होगी, बल्कि सरकारी आवासीय योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ सकते हैं।
क्या JDA देगा जल्द जवाब?
अब सवाल यह है कि क्या JDA इस मामले को गंभीरता से लेकर जल्द से जल्द आवंटियों को उनका हक दिलाएगा? या फिर यह मामला यूं ही वर्षों तक लटका रहेगा?
अगर JDA इस पर जल्दी ध्यान नहीं देता है, तो यह मामला और भी बड़ा हो सकता है, क्योंकि आवंटियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है।
निष्कर्ष
JDA की इस आवासीय योजना में 9 साल की देरी ने कई आवंटियों की उम्मीदों को तोड़ दिया है। जिन लोगों ने अपने भविष्य का सपना देखते हुए यह फ्लैट खरीदा था, वे आज भी सिर्फ कागज़ों पर ही मालिक बने हुए हैं।
अब देखना यह होगा कि JDA इस पर कब तक कोई ठोस कदम उठाता है और आवंटियों को कब तक उनका हक मिलता है। आवंटी अब किसी नए आश्वासन की बजाय ठोस कार्यवाही चाहते हैं।
संवाददाता :-
पवन शर्मा