राजस्थान में 15 जनवरी तक हो सकेंगे तबादले: सरकार ने तारीख बढ़ाई, ज्यादातर विभागों में नहीं हो पाए थे ट्रांसफर!
जयपुर, राजस्थान में राज्य सरकार ने तबादलों की सीमा को बढ़ाकर 15 जनवरी तक कर दिया है। यह निर्णय तब लिया गया जब 30 दिसंबर को तबादलों पर लगी रोक को 10 जनवरी तक बढ़ाया गया था, लेकिन ज्यादातर विभागों में तबादले नहीं हो सके थे। अब सीएम के अनुमोदन के बाद इस तारीख को 5 और दिन बढ़ा दिया गया है। बीजेपी के कई विधायक और संगठन के पदाधिकारी तबादलों में छूट को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
तबादलों के लिए छूट की अवधि बढ़ाने का कारण :
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पहले 30 दिसंबर को तबादलों से छूट की अवधि 10 जनवरी तक की थी। लेकिन इस अवधि में सरकारी विभागों के कामकाजी दायित्वों के कारण कई तबादले नहीं हो सके। राजस्थान में अब 15 जनवरी तक तबादले किए जा सकेंगे। इसकी वजह से सत्ताधारी दल और विपक्ष दोनों की ओर से यह मांग की गई थी कि छूट की अवधि को और बढ़ाया जाए, ताकि कर्मचारियों के तबादले आसानी से किए जा सकें।
रोजगार उत्सव से जुड़ी मांगें :
इस छूट की अवधि के विस्तार का मुख्य कारण यह है कि 12 जनवरी को राज्य में रोजगार उत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सभी मंत्रियों को विभिन्न जिलों में भेजा जाएगा। यहां पर बीजेपी कार्यकर्ता मंत्रीजी से तबादलों के लिए आवेदन देने की तैयारी कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के बीच यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसके कारण मुख्यमंत्री को विधायक और नेताओं से इसे बढ़ाने की मांग मिली। कई नेताओं का कहना था कि 10 दिनों में विभागों में कोई ठोस काम नहीं हुआ है, और अधिक समय की आवश्यकता है।
बीजेपी नेताओं और विधायकों का दबाव :
बीजेपी के विधायकों और नेताओं ने मुख्यमंत्री से तबादलों से बैन हटाने के लिए कई बार सिफारिश की थी। इसके अलावा, विधायक और संगठन के पदाधिकारी भी लगातार यह मांग कर रहे थे कि तबादलों से संबंधित छूट की अवधि और बढ़ाई जाए, ताकि वे अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को नियुक्ति दिलवा सकें। अब यह फैसला सीएम के साथ विधायकों की बैठक के बाद लिया गया है, जहां तत्कालीन अधिकारियों ने यह बात उठाई कि राज्य में कर्मचारी मामलों के समाधान के लिए इसे और बढ़ाया जाना चाहिए।
विभागवार तबादले की संभावनाएँ :
सरकारी विभागों में तीन लाख से ज्यादा कर्मचारियों के इधर-उधर होने का अनुमान जताया जा रहा है। यह संख्या बहुत बड़ी है और इससे राज्य की कार्यशैली में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सबसे ज्यादा तबादले मेडिकल, ऊर्जा, पुलिस, और PHED जैसे विभागों में होने की संभावना है, क्योंकि इन क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी लगातार महसूस की जा रही है। विशेष रूप से मेडिकल और पुलिस विभाग में निचले स्तर के कर्मचारियों का घेरा बढ़ाने के प्रयास हो सकते हैं।
शिक्षा विभाग में तबादलों पर क्यों बनी रोक?
जहां अन्य विभागों में तबादले हो सकते हैं, वहीं शिक्षा विभाग में फिलहाल तबादलों पर बैन लगा रहेगा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के तहत होने वाले तबादलों के लिए अभी तक कोई नई पॉलिसी तैयार नहीं हो पाई है। इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में शिक्षकों के तबादलों को लेकर कई विवाद भी सामने आए हैं। कई बार तबादले के बाद आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बनी थी, जिसके कारण विवादों से बचने के लिए शिक्षा विभाग में तबादला रोक की नीति बनाई गई है।
ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादले पर भी लंबे समय से पाबंदी बनी हुई है। इन तबादलों को लेकर शिक्षक संगठन लगातार मांग कर रहे थे, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार के समय भी इन तबादलों को रोक दिया गया था। फिलहाल, शिक्षा विभाग में भी तबादलों के लिए एक नई नीति का तैयार होना आवश्यक है। नई नीति के अनुसार, केवल उन्हीं कर्मचारियों के तबादले होंगे, जो इसके लिए पात्र होंगे और जिनकी नियुक्ति के दौरान आवश्यक नियमों का पालन किया गया हो।
राजनीतिक सिफारिशों का असर :
राजस्थान में सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं और विधायकों की सिफारिशों का प्रभाव तबादलों में देखा जा सकता है। पिछले कुछ समय से बीजेपी नेता लगातार यह मांग कर रहे थे कि तबादलों पर लगी रोक को हटाया जाए, ताकि वे अपने राजनीतिक और पार्टी कार्यकर्ताओं को लाभ पहुँचा सकें। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी तबादलों में नेताओं की सिफारिशें महत्वपूर्ण होंगी और उन्हें प्राथमिकता मिल सकती है।
शिक्षक तबादलों पर विवाद क्यों?
राजस्थान में शिक्षक तबादलों को लेकर कई विवाद हो चुके हैं। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने शिकायत की थी कि विभागीय स्तर पर तबादले एकतरफा तरीके से किए जाते हैं, जिससे अन्य कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन होता है। इसके अलावा, पिछले सत्रों में तबादला प्रक्रिया के दौरान शिक्षकों को परेशान किया गया और कई बार इन तबादलों से बच्चों की पढ़ाई में बाधा आई। इसी कारण शिक्षा विभाग में तबादलों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है और नई पॉलिसी बनने तक यह बैन जारी रहेगा।
कर्मचारी वर्ग की प्रतिक्रियाएँ :
राजस्थान में तबादलों को लेकर कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएँ मिल-जुली रही हैं। कुछ कर्मचारियों का मानना है कि तबादले कर्मचारियों को बेहतर कार्य वातावरण और करियर अवसर देते हैं, वहीं कुछ कर्मचारी इसे अस्थिरता का कारण मानते हैं। खासकर, जो कर्मचारी लंबे समय से एक ही स्थान पर काम कर रहे हैं, वे तबादलों को लेकर असहज महसूस करते हैं।
कई कर्मचारियों का कहना है कि तबादलों से कार्यस्थल पर नई चुनौतियाँ आती हैं और इससे उनकी कार्यशैली भी बेहतर होती है। इसके साथ ही, कुछ कर्मचारियों ने यह भी कहा कि तबादलों की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो और उन्हें समुचित स्थान पर काम करने का अवसर मिल सके।
राजस्थान सरकार ने जब से तबादलों पर लगी रोक को हटाया है, तब से इसमें लगातार चर्चा चल रही है। यह सरकार का एक बड़ा कदम है, जो कर्मचारियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर लेकर आया है। अब 15 जनवरी तक की अवधि बढ़ा दी गई है, जिससे विभिन्न विभागों के कर्मचारी अपने तबादलों के लिए आवेदन कर सकेंगे। शिक्षा विभाग में तबादलों की रोक हालांकि बनी हुई है, लेकिन नई पॉलिसी के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि यह भी जल्द ही हल हो जाएगा।
राजनीतिक दबाव और विभागीय सिफारिशों के चलते तबादलों का रास्ता और भी सुगम हुआ है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ दिनों में तबादलों की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है और कर्मचारियों को किस प्रकार से उनके कार्यस्थलों पर नए अवसर मिलते हैं।