जैसलमेर: लुणेरी तालाब क्षेत्र में बर्ड फ्लू का खतरा, प्रशासन सतर्क!

जैसलमेर: लुणेरी तालाब क्षेत्र में बर्ड फ्लू का खतरा, प्रशासन सतर्क!

जैसलमेर जिले के लुणेरी तालाब क्षेत्र में 11 जनवरी को 6 कुरजा पक्षियों के शव मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। अगले दिन, 12 जनवरी को, दो मृत पक्षियों के नमूने जांच के लिए भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज (NIHSAD) लैब भेजे गए, जहाँ से बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। यह घटना जैसलमेर में प्रवासी पक्षियों के लिए एक गंभीर खतरा बनकर सामने आई है।

हॉटस्पॉट क्षेत्र घोषित:
बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही प्रशासन ने लुणेरी तालाब क्षेत्र को इंफेक्टेड हॉटस्पॉट एरिया घोषित कर दिया। संक्रमण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। पशुपालन विभाग, वन विभाग, और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को मिलाकर एक संयुक्त टीम का गठन किया गया है।
       इस टीम ने एक क्विक रिस्पांस टीम (QRT) बनाई है, जो हॉटस्पॉट क्षेत्र में लगातार गश्त कर रही है। इसके साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रसायन का छिड़काव किया जा रहा है। प्रशासनिक अमले ने क्षेत्र में आमजन और पशुओं के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।

स्थानीय लोगों में भय का माहौल:
क्षेत्र में मृत पक्षियों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय निवासियों को चिंतित कर दिया है। जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध परिस्थिति में तुरंत सूचना देने की अपील की है।

प्रवासी पक्षियों से संक्रमण फैलने का खतरा:
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रवासी पक्षियों के माध्यम से यह संक्रमण अन्य क्षेत्रों में भी फैल सकता है। बर्ड फ्लू वायरस पक्षियों के साथ-साथ इंसानों के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। इसे देखते हुए प्रशासन ने जागरूकता अभियान शुरू किया है। लोगों को सतर्क रहने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जा रही है।

प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम:
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है। प्रभावित क्षेत्र में विशेष निगरानी रखी जा रही है। चिकित्सा, वेटेनरी और वन विभाग के अधिकारियों के बीच समन्वय स्थापित किया गया है।

संक्रमण की रोकथाम के उपाय: क्षेत्र में रसायन का छिड़काव कर संक्रमण को फैलने से रोका जा रहा है।
पशु और पक्षियों की जांच: क्षेत्र में सभी प्रकार के पशु और पक्षियों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है।
आमजन को जागरूक करना: प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इस वायरस के प्रति सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

विशेषज्ञों की राय:
विशेषज्ञों का कहना है कि बर्ड फ्लू का संक्रमण इंसानों में फैलने की संभावना बहुत कम है, लेकिन लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखना और संक्रमित पक्षियों के संपर्क से बचना आवश्यक है।

संक्रमण के लक्षण और बचाव के उपाय:

बर्ड फ्लू के लक्षणों में बुखार, गले में खराश, और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। संक्रमण से बचने के लिए प्रशासन ने निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:

संक्रमित पक्षियों के संपर्क से बचें।
खाना पकाने से पहले मांस और अंडों को अच्छे से पकाएं।
हाथों की स्वच्छता बनाए रखें और समय-समय पर साबुन से धोएं।
अगर कोई अस्वाभाविक लक्षण महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

स्थानीय प्रशासन की तैयारी:
जिला प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं।

विशेष टीमें तैनात: हॉटस्पॉट क्षेत्र में नियमित गश्त के लिए QRT तैनात की गई है।
स्वास्थ्य सेवाएं: चिकित्सा विभाग को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं।
सामुदायिक सहयोग: स्थानीय समुदाय से इस संकट से निपटने में सहयोग की अपील की गई है।

संभावित प्रभाव और चुनौतियां:

इस घटना का प्रभाव जैसलमेर के पर्यावरण और पर्यटन पर भी पड़ सकता है।

पर्यावरणीय असर: मृत पक्षियों की संख्या में वृद्धि से जैव विविधता को खतरा है।
पर्यटन पर प्रभाव: जैसलमेर के पर्यटन उद्योग को इससे नुकसान हो सकता है, क्योंकि प्रवासी पक्षी यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
आर्थिक प्रभाव: पशुपालन उद्योग पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

प्रशासन की अपील:

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, बल्कि सतर्क रहें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि या मृत पक्षी मिलने की स्थिति में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। जागरूकता और सावधानी ही इस संकट से निपटने का सबसे कारगर उपाय है।