बेनीवाल और दिव्या मदेरणा का क्या होगा राजनीति कदम
आरएलपी के हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस की दिव्या मदेरणा एक बार फिर अपनी सियासी अदावत को लेकर चर्चाओ में हैं. क्योंकि बेनीवाल इस चुनाव में कांग्रेस के साथ आ रहे हैं और यह दिव्या को नागवार गुजर रहा है. खबरें है कि इस बात से नाराज होकर दिव्या मदेरणा बीजेपी ज्वाइन कर सकती हैं. भाजपा अपने मिशन 25 के लिए कोई भी समझौता करने को तैयार है. स्थितियां विपक्षी दल कांग्रेस की भी ऐसी ही है जो कि भाजपा के मिशन 25 को रोकने के लिए जोर लगा रही है. हांलाकि दो बार के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है. लेकिन इस बार का चुनाव बडा रोचक नजर आ रहा है. दरअसल कांग्रेस इस बार भाजपा की मिशन 25 हैट्रिक से बचना चाहती है. इसीलिए कांग्रेस ने भी कई छोटे- बडे राजनैतिक दलों से हाथ मिलाया है. राजस्थान में जाट समाज के दिग्गज नेता और आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल को पहली बार कांग्रेस अपने साथ लेकर आ रही है. हांलाकि मोदी सरकार में पहले आरएलपी का गठबंधन रह चुका है लेकिन बाद में बेनीवाल ने तोड लिया. कांग्रेस और आरएलपी के गठबंधन की तस्वीर साफ होती नजर आ रही है. चर्चा है कि प्रियंका गांधी ने दिल्ली में इसे हरी झंडी दिखला दी है. लेकिन बेनीवाल से कांग्रेस की यह दोस्ती दिव्या मदेरणा को पसंद नहीं आ रही है. उसकी वजह है कि दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी हैं. और हनुमान बेनीवाल दिव्या मदेरणा और उनके परिवार पर कई बार सार्वजनिक मंचों से निजी आरोप लगा चुके हैं. दिव्या मदेरणा की बात करें तो ये उस मदेऱणा की परिवार की वारिस हैं . जो राजस्थान की सियासत में जाट राजनीति का सबसे बडा चेहरा माना जाता रहा है.
मदेरणा परिवार का भविष्य है. मदेरणा युवा चेहरा हैं . सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय भी रहती हैं. यूथ में काफी पॉपुलर हैं. अब हनुमान बेनीवाल के कांग्रेस के साथ आने से दिव्या मदेरणा नाराज बताई जा रही हैं. चर्चा हैं कि वे अब बीजेपी में जा सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए बडा फायदे का सौदा होगा. क्योकि मिर्धा परिवार के बाद जोधपुर की सियासत में मदेरणा परिवार की एंट्री से बीजेपी को मजबूती मिलेगी. हांलाकि दूसरी ओर से खबर है कि दिव्या मदेऱणा कांग्रेस के टिकट पर ही अजमेर से चुनाव लडना चाह रही है. लेकिन अगर बेनीवाल से कांग्रेस के गठबंधन से नाराज दिव्या मदेरणा अगर भाजपा में आ गई तो कांग्रेस के लिए बडी मुसीबत हो सकती है. क्योंकि मारवाड मे ओसियां और जोधपुर में कई समर्थक खालिस मदेरणा परिवार के समर्थक हैं और इसीलिए वे दशकों से कांग्रेस को वोट देते हुए आए हैं. हांलाकि दिव्या मदेरणा पिछली बार ओसियां से विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं. पिछले दिनों उनके बडबोले बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए हैं. गहलोत की नीतियों को लेकर भी खुलकर वे विरोध में आ चुकी हैं . हांलाकि वे सचिन पायलट की खास मानी जाती है और अगर अजमेर से उन्हें कांग्रेस चुनाव मैदान में उतारती है तो निश्चित तौर पर उनको इसका फायदा मिलेगा. क्योंकि यह सचिन पायलट का संसदीय क्षेत्र रह चुका है. दूसरा जातिगत राजनीति के हिसाब से भी मदेरणा के फेवर में नजर आ रहा है. फिलहाल पहले इंतजार है कांग्रेस के हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन का. क्योंकि शायद दिव्या मदेरणा को लेकर तस्वीर उसके बाद ही साफ हो पाएगी कि वे कांग्रेस में रहती हैं या भाजपा का दामन थामती हैं.