गुरु पूर्णिमा पर सत्संग का आयोजन, बाबा उमाकान्त ने बताया श्री राम के दर्शन का रास्ता
तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा सतसंग कार्यक्रम के दूसरे दिन 20 जुलाई को गुलाबी वस्त्र पहने भक्तों के जन सैलाब को सतसंग सुनाते हुए वक़्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अंत समय में अपना आत्म - कल्याण न कर पाने वाले जीव की गति का वर्णन करते हुए बताया कि जब अंतिम समय आता है और कर्मों की सजा मिलने लगती है तो यमराज के दूत, जो बड़े काले, कुरूपी होते हैं, आते हैं तो आवाज लगा देते हैं कि चलो समय पूरा हो गया, मकान (शरीर) खाली करो। जो लोग मनुष्य शरीर में आये, सबको खाली करना पड़ा। जो महापुरुष कहलाए, आज जिनकी पूजा होती है, जिनके मंदिर जगह-जगह बने हुए हैं, बड़ा नाम है, वह भी मनुष्य शरीर में थे,
उनको भी शरीर छोड़ना पड़ा, चाहे भगवान राम हों, चाहे भगवान् कृष्ण हों. महाराज जी ने बताया की भगवान राम ने धर्म की स्थापना किया, दुराचारियों का संहार किया। इसलिए कहते हैं राम भगवान यहां गुप्त हुए थे, चारों भाई गुप्त हुए, यह(अयोध्या में सरयू के किनारे) गुप्तार घाट है। मैं किसी की कोई आलोचना नहीं करता हूं। हमारे तो राम-कृष्ण भगवान पूज्य हैं और उनकी जो पूजा करते हैं, हम उनको भी सम्मान देते हैं, मानते हैं। हम तो सबको मानते हैं सियाराम मय सब जग जानी, करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानी। गोस्वामी जी महाराज जी ने राम की व्याख्या की, राम के बारे में बताया, कहा सब में वो राम रम रहे। कौन से राम? एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में लेटा, एक राम का सकल पसारा, एक राम सब जग से न्यारा। जो सबमें रम रहे, जो राम में रमते रहे, और कृष्ण में भी रमते रहे, और जितने भी महापुरुष आये, सब में जो रमते रहे, वही हैं राम। जब सब में राम है, हममें राम, तुममें राम, कण-कण में राम है, हम तो सब का सम्मान करते हैं, हम तो आलोचना किसी कि करते ही नहीं है। हम अगर सही कोई बात बताएं तो यह नहीं आपको समझना चाहिए कि हम आलोचना कर रहे हैं.
यह तो समझ लो जानकारी करा रहे हैं। अगर आप जानकारी कर लोगे, जो अगर बताया जाएगा, उसके मुताबिक आप करोगे तो राम भगवान की पहचान हो जाएगी। कृष्ण भगवान जो मनुष्य शरीर में थे, काम किया, उनकी भी पहचान आपको हो जाएगी जैसे अर्जुन को हो गई थी। जब कृष्ण भगवान ने अर्जुन की दिव्य दृष्टि खोल करके महाभारत पहले ही दिखा दिया था, ऐसे ही आप भी विश्वास करोगे तो आपको अंदर में राम भगवान उसी तरह दिख जाएंगे, जैसे यहां आप मूर्ति में राम, कृष्ण भगवान को देखते हो, विश्वास करोगे तो दिख जाएंगे. महाराज जी द्वारा सतसंग में भक्तों को जीते जी ईश्वर के दर्शन कराने वाले गुरुमन्त्र का दान (नामदान) दिया गया तथा सत्संग के बाद भक्तों ने कतारबद्ध होकर पूर्ण अनुशासन और व्यवस्था के साथ पूज्य गुरु जी महाराज के दर्शन भी किये.
इसी गुरु पूर्णिमा में गुरु के सतसंग और दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से भक्तों का जन सैलाब, जयपुर आश्रम में पहुँच रहा है।जिनके लिये सेवादारों द्वारा 38 से भी ज्यादा भोजन भंडारों की व्यवस्था की गई है, साथ ही उनके रहने ठहरने के लिए समुचित डेरे और शौचालयों को तैयार किया गया है। स्वास्थ्य, सुरक्षा,पानी आदि सभी व्यवस्था संबंधी विभागों के द्वारा सेवादार,आने वाले भक्तों को सेवाएं दे रहे हैं.