जेकेके में मधुरम का मधुर आगाज

जेकेके में मधुरम का मधुर आगाज

जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित मधुरम कार्यक्रम का शुक्रवार को मधुर आगाज हुआ। पहले दिन शास्त्रीय संगीत से जुड़े विषयों पर जहां विशेषज्ञों ने विचार रखे वहीं कलाकारों ने बांसुरी-सितार की जुगलबंदी की और सुरबहार पर धुन छेड़ी।  कृष्णायन में संवाद प्रवाह में 'रिन्यूइंग सोलो कथक ट्रेडिशन' और 'ट्रेडिशन ऑफ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट' विषय पर कथक गुरु प्रेरणा श्रीमाली, संस्कृतिकर्मी डॉ. राजेश कुमार व्यास और डॉ. अश्विन दलवी ने विचार रखे। प्रेरणा श्रीमाली ने कहा कि जब दर्शक किसी विधा के साक्षी बनते हैं, तो उसके बारे में विस्तार से जानने और समझने के लिए उससे जुड़े संवाद को सुनना भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि नृत्य विधा को देखें तो उसके साथ उसे समझें और सुनें भी तो ज़्यादा समझ पाएंगे। आजकल सोलो डांसर्स बहुत कम दिखाई देने लगे हैं और एकल काफ़ी कठिन विधा है। चूँकि समूह में की गई कला थोड़ी आसान होती है। प्रत्येक विधा एक दूसरे से जुड़ी हुई है। कोई भी कला अपने आप में संपूर्ण नहीं है। आजकल एकल कथक का स्वरूप खत्म होता जा रहा है। युवा पीढ़ी से उम्मीद है कि वह इस संस्कृति को वापस जीवित करेगी। वहीं अश्विन दलवी ने स्वनिर्मित अंश वीणा के बारे में बताया। 


रंगायन में शाम को संदीप सोनी के निर्देशन में रागा कनेक्ट स्प्रिचुअलिटी कॉन्सर्ट में सितार और बांसुरी की जुगलबंदी सुनने को मिली। प्रस्तुति में बांसुरी और सितार की धुन के साथ अध्यात्म व साहित्य का मिलन देखने को मिला। राग बैरागी में आलाप, जोड़, झाला से की। इसी राग में उन्होंने गणेश वंदना की। इसके बाद राग भूपाली में आलाप के बाद भक्ति पद बजाए गए। राग मेघ में बांसुरी और सितार पर ताल रूपक में गत प्रस्तुत की गयी, इसमें गायकी अंग तत्कारी, चक्करदार तिहाईयों के साथ समां बांधा। राग भूपाली में कीर्तन के साथ प्रस्तुति का समापन हुआ। किशन कथक ने सितार वादन किया, तबला और पखावज पर परमेश्वर लाल कथक, गायन पर पुरुषोत्तम राणावत और की-बोर्ड पर ध्रुव सोनी ने संगत की। इसके बाद डॉ. अश्विन दलवी ने सुरबहार वादन से श्रोताओं का मन मोहा.

गौरतलब है कि शनिवार को जेकेके और कलावर्त प्रेरणा श्रीमाली कथक केन्द्र की ओर से 'युवा एकल' र्कायक्रम में शुभम पाल सिंह शाम पांच बजे रंगायन में कथक की प्रस्तुति देंगे।