पेपर लीक के आरोपी गिरफ्तारी के बाद बोल रहे झूठ

पेपर लीक के आरोपी गिरफ्तारी के बाद बोल रहे झूठ

राजस्थान में साल 2021 में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा के लीक पेपर के संबंध में एक महत्वपूर्ण घटना में, मास्टरमाइंड जगदीश विश्नोई और केंद्र निदेशक राजेश खंडेलवाल को गिरफ्तार किया गया है. दोनों पुलिस जांच के दौरान भी एक दूसरे को पहचानने से इनकार कर रहे हैं. इसके अलावा, जेईएन भर्ती पेपर लीक के आरोपी, लाइब्रेरियन शिवरतन मोट भी उनसे कोई संबंध नकारा कर रहे हैं. जब जांचकर्ताओं ने तीनों को एक साथ लाया, तब भी उन्होंने पहले ही एक दूसरे को जानने से मना कर दिया. पूछताछ के दौरान, यह सामने आया कि जगदीश विश्नोई ने पेपर लीक का जाल बिछाने के लिए राजेश खंडेलवाल, हसनपुरा, जयपुर के रवींद्र बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल के केंद्राधीक्षक के माध्यम से किया था. गिरफ्तार हुए शिक्षक राजेंद्र कुमार यादव ने जगदीश विश्नोई से ही मुलाकात की थी. इसके बाद राजेश ने उसके बाद जगदीश विश्नोई गैंग के सदस्य यूनिक भांबू उर्फ पंकज चौधरी और लाइब्रेरियन शिवरतन मोट के साथ मिलकर परीक्षा से पहले पेपर लीक करने की प्लानिंग की बता दें कि पंकज चौधरी चूरू का रहने वाला है. 

वहीं, शिवरतन मोट गंगानगर में रहता है. एसआई भर्ती परीक्षा तीन दिन हुई थी. जांच में पता चला कि पहले 13 सितम्बर को पेपर लीक करने की प्लानिंग थी. लेकिन परीक्षा से कुछ समय पहले ही पेपर आने के कारण लीक नहीं हो सका.. इसके बाद 14 और 15 सितम्बर को इन सभी ने मिलकर पेपर लीक कर दिया. सूत्रों के अनुसार, केंद्राधीक्षक राजेश खंडेलवाल को पेपर लीक कराने के लिए टीचर राजेंद्र कुमार यादव ने ही सैट किया था. इसके बाद पेपर लीक के मास्टरमाइंड जगदीश विश्नोई, केंद्राधीक्षक राजेश खंडेलवाल, यूनिक भांबू और शिवरतन मोट ने ही पेपर लीक की पूरी प्लानिंग की थी. प्लानिंग के तहत यूनिक भांबू को सेंटर पर रखना था. इसलिए उसे इनविजिलेटर बनाया गया. यूनिक भांबू और शिवरतन मोट ने ही पेपर लीक की पुरी प्लानिंग की थी. प्लानिंग के तहत यूनिक भांबू को सेंटर पर रखना था.  इसलिए उसे इनविजिलेटर बनाया गया। यूनिक को स्कूल के ऑफिस में बने छोटे कमरे में छिपा दिया गया. वहीं, चैकिंग के दौरान भांबू की जगह शिवरतन मोट को तैनात कर दिया गया. मोट को व्याख्याता बनाया. चाय-पानी पिलाने का काम सौंपा गया. 

ड्यूटी करने के लिए 300 रुपए हर दिन के हिसाब से देना तय हुआ. जब पेपर लीक हो गया तो भांबू ने मोट को तीन लाख रुपए अलग से दिए. राजेश खंडेलवाल ने यूनिक भांबू को पेपर आने से दो घंटे पहले ही कमरे को बुखारी में छिपा दिया था. यहां से भांबू ने सील्ड पेपर की टेप को काटकर पेपर का फोटो खींचा. जगदीश को भेज दिया। इसके बाद वह बुखारी में पेपर होने के बाद तक बैठा रहा....करीब पांच घंटे बुखारी में रहने के बाद वह बाहर निकला. उसके बाद दूसरी पारी के पेपर के लिए भी पहले से जाकर बुखारी में बैठ गया. आरपीएससी की ओर से पेपर कराने के लिए बनाया गया तंत्र इतना कमजोर था कि उसे जगदीश और राजेश ने मिलकर तोड़ दिया. 300 रुपए मात्र में पेपर लीक माफिया को वीक्षक बनाकर पेपर लीक करा दिया. इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी. एसओजी ने जब वीक्षक के तौर पर कागजों में किए हस्ताक्षरों की जांच की तो भांबू और मोट का खुलासा हुआ. एफएसएल की 3 सदस्यों की टीम ने बुधवार को एसओजी पहुंच कर गिरफ्तार किए सभी 14 एसआई के हस्ताक्षर नमूनों की जांच की, जिसमें प्रारंभिक तौर पर 3 एसआई के हस्ताक्षर नहीं मिले, जिससे तीनों के डमी होने की आशंका जताई जा रही है. एसओजी ने इस मामले में 40 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.